पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपना प्रचार का तरीका बदल लिया है. इस बार प्रचार में बड़ी रैलियां और जनसभा नहीं हो रहे है और ना ही उड़न खटोले से कोई भी नेता उड़ते नजर आ रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार अभी तक किसी पार्टी ने हेलीकॉप्टर बुक नहीं करवाया है. बड़ी पार्टियों के साथ छोटी पार्टी भी अब डिजिटल माध्यम से वर्चुअल सम्मेलन और वर्चुअल रैली करने लगी है.
आकाश में नहीं दिख रहे उड़न खटोले
दरअसल, चुनाव प्रचार के लिए नेता गण बड़ी-बड़ी रैलियां, जनसभा और 1 दिन में एक से अधिक जनसभा के लिए उड़न खटोला से उड़ते थे. लेकिन कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के कारण फिलहाल यह सब कुछ होता नहीं दिख रहा है. बड़ी पार्टियों से लेकर छोटी पार्टियों तक डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. सभी पार्टियों का सोशल मीडिया साइट एक्टिव है. वहीं, इस मामले में बीजेपी की बराबरी करता, कोई नहीं दिख रहा है. विधानसभा चुनाव को लेकर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बीजेपी जेडीयू और लोजपा यानी एनडीए महागठबंधन से बहुत आगे है. आरजेडी नेता सोशल साइट्स पर एक्टिव जरूर है. लेकिन फिलहाल वर्चुअल सम्मेलन और रैली से दूर हैं.
'डिजिटल प्लेटफॉर्म का आने वाले समय में बढ़ेगा महत्व'
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार के मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि जब रैलियां नहीं होगी, ऐसे में ऑप्शन क्या है डिजिटल प्लेटफॉर्म ही संवाद का बड़ा माध्यम है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इसका महत्व और बढ़ेगा. वहीं, जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि फिलहाल बड़ी रैलियां और समारोह संभव नहीं है. इसलिए डिजिटल तैयारी भी हो रही है. लेकिन चुनाव आयोग यदि परमिशन देगा, तो पहले की तरह कार्यक्रम भी आयोजित होंगे.
बीजेपी ने की है वर्चुअल रैली की शुरुआत
बीजेपी लगातार वर्चुअल सम्मेलन कर रही है. गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार से ही देश की पहली वर्चुअल रैली की शुरुआत की थी. अलग-अलग टीम बनाकर विधानसभा वार लोगों से संवाद कर रहे हैं. जेडीयू की तरफ से भी 18 जुलाई से 31 जुलाई तक विधानसभा वार वर्चुअल सम्मेलन होगा और नीतीश कुमार 7 अगस्त को रैली करेंगे. छोटी पार्टियों में मुकेश सहनी ने भी वर्चुअल रैली शुरू कर दी है. वामपंथी दल से लेकर अधिकांश छोटी पार्टियां अभी चुनाव आयोग के निर्देश का इंतजार कर रही हैं. आरजेडी सहित कई पार्टियों ने वर्चुअल रैली और सम्मेलन का विरोध किया है. लेकिन यदि चुनाव आयोग ने बड़ी रैलियों और समारोह की इजाजत नहीं दी, तो तय है कि सभी पार्टियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ही आना पड़ेगा.