पटनाःबिहार प्रशासनिक सेवा संघ ने अपने एक पदाधिकारी के गिरफ्तारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बासा के एक पदाधिकारी की गिरफ्तारी को लेकर आर्थिक अपराध इकाई (Basa Objection On EOU) के कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं. इसे लेकर पटना बासा भवन में बिहार एडमिनिशट्रेटिव सर्विस एसोसिएशन की प्रथम केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई. जहां 41वीं बैच के निर्वाचन विभाग उप सचिव आलोक कुमार (Deputy Secretary Alok Kumar Arresting) पर आईपीसी की धारा 153 ए एवं आई.टी. एक्ट की धारा 66 के तहत केस संख्या– 24/17.06.2022 के आधार पर गिरफ्तार किये जाने पर उपस्थित पदाधिकारियों ने अपत्ति जताई और इस मामले पर विमर्श का अनुरोध किया. बैठक में बासा के महासचिव सुनील कुमार तिवारी और अध्यक्ष शशांक शेखर सिन्हा भी मौजूद थे.
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बिना नेटिस के अधिकारी को किया गया गिरफ्तारःबैठक में आलोक कुमार के दोनों भाइयों और उनके पुत्र द्वारा घटनाक्रम के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि 16.06.2022 को रात के करीब दो बजे दो सिपाही उनके घर आये एवं उनके पिताजी को खोज रहे थे. भय के कारण परिवार के लोगों द्वारा दरवाजा नहीं खोला गया. 17.06.2022 को जब उनके पिताजी निर्वाचन कार्यालय गये तो सचिवालय थाना के थाना प्रभारी द्वारा उनके पास जाकर उनके निजी मोबाईल की मांग की गई. बिना कोई सर्च वारंट के इस कृत्य पर उनके द्वारा आपत्ति की गई. लेकिन सचिवालय थाना प्रभारी सी.पी.एम. गुप्ता ने उनके मोबाईल को जब्त कर लिया. उसी दिन शाम छह से सात के बीच थानाध्यक्ष द्वारा मोबाईल वापस करने हेतु उन्हें थाना बुलाया गया. लेकिन दो से तीन घंटे उन्हें बैठाने के बाद मोबाईल वापस न कर उन्हें आर्थिक अपराध ईकाई थाना ले जाया गया. उसके बाद वहां पुछताछ कर उन्हें शारीरिक जांच के लिए लोकनायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल, शास्त्रीनगर ले जाया गया. हृदय रोग से ग्रसित और पेसमेकर लगे अधिकारी को 60 घंटे से अधिक समय से पुलिस हिरासत में रखा गया, जो संविधान की सुसंगत धाराओं का उल्लंघन है.
ग्रुप पर आपत्तिजनक पोस्ट का है मामलाःबैठक में संपूर्ण घटनाचक्र की समीक्षा और प्राथमिकी के अवलोकन के बाद पाया गया कि आलोक कुमार ने ‘‘टीम बासा’’, जो बिहार प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारियों का समूह है, जिससे एक कार्टून पोस्ट किया गया था. जिसमें किसी धर्म के आराध्य का कोई उल्लेख नहीं था. इस पोस्ट से इसी ग्रुप के किसी सदस्य की भावना आहत हुई. यह प्राथमिकी के अवलोकन से प्रतीत नहीं होता है, क्योंकि प्राथमिकी में शिकायतकर्ता वरीय स्तर के पदाधिकारी हैं. आलोक कुमार द्वारा किया गया पोस्ट उनके द्वारा तत्काल हटा भी लिया गया था. प्रशन यह उठता है कि बिहार प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी के ग्रुप का तथाकथित आपत्तिजनक पोस्ट से अगर किसी को कोई शिकायत थी तो उस व्यक्ति को स्वयं थाना में जाकर आलोक कुमार के खिलाफ शिकायत की जानी चाहिये थी. प्राथमिकी किये जाने में वरीय पदाधिकारी की सूचना दर्शाया गया है. नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत शिकायतकर्त्ता का बयान दर्ज कराये बिना अनुसंधान और पदाधिकारी आलोक कुमार से बिना किसी स्पष्टीकरण के जो कि अपराधी और आतंकवादी नहीं हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाना काफी दुखद है.