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गांधी मैदान के ओपन थिएटर की मेगा स्क्रीन पर सूख रहे कपड़े, स्मार्ट प्रोजेक्ट पर लगी जंग - gandhi maidan patna

ओपन थिएटर के लिए मेगा स्क्रीन को 2019 तक शुरू कर देना था. लेकिन 2019 के अंतिम दौर तक भी ये शुरू नहीं हो सकी है. इससे साफ है कि प्रोजेक्ट में किस तरह से जंग लग रही है.

ईटीवी भारत
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Published : Dec 21, 2019, 5:58 AM IST

पटना:राजधानी के लोगों के मनोरंजन के लिए गांधी मैदान में ओपन थिएटर के लिए मेगा स्क्रीन लगायी गयी थी, ताकि इसमें फिल्मों के साथ-साथ कल्चरल प्रोग्राम के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा सके. करोड़ों की लागत से बनने वाला यह प्रोजेक्ट आज जंग खा रहा है. लेकिन कोई देखने वाला नहीं है.

विदेशों के तर्ज पर पटना के लोगों को मनोरंजन के लिए गांधी मैदान में ओपन थिएटर के लिए मेगा स्क्रीन लगाने की कवायद शुरू हुई. इसके लिए स्मार्ट सिटी ने करोड़ो का बजट बना कर मेगा स्क्रीन प्रोजेक्ट का काम धरातल पर उतरने लगा. ताकि लोगों को बिहार की संस्कृति पर आधारित फिल्में दिखायी जा सके. इसके साथ ही जितने भी खेल होते हैं, सभी का लाइव प्रसारण इस मेगा स्क्रीन प्रोजेक्ट के माध्यम से दिखाई जाए. इसमें डॉल्बी डिजिटल साउंड लगाया गए थे. जिससे लोगों को महसूस हो सके कि वो किसी मैदान में नहीं बल्कि मल्टी स्टार सिनेमाघर में मूवी देख रहे हैं.

पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट

मेगा स्क्रीन पर सूख रहे कपड़े...
इस मेगा स्क्रीन को 2019 तक शुरू कर देना था. लेकिन 2019 के अंतिम दौर तक भी ये शुरू नहीं हो सकी है. इससे साफ है कि प्रोजेक्ट में किस तरह से जंग लग रही है. करोड़ों की लागत से बनी मेगा स्क्रीन प्रोजेक्ट पर लोग अपने कपड़े सूखा रहे हैं. हालांकि, इस प्रोजेक्ट को चालू करने के लिए टेंडर के माध्यम से निविदा आमंत्रित की गई थी. लेकिन पटना के स्मार्ट सिटी के कमिश्नर के तबादले के साथ ही इस प्रोजेक्ज की किस्मत खराब हो गयी.

जल्द पूरा होगा काम- स्मार्ट सिटी लिमिटेड
इसके बारे में जानकारी लेने के लिए, जब स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारी से बात की गई. तो उन्होंने फेज-2 में काम होने पूरा होने की बात कह दी. इसके लिए एक एजेंसी का चयन होने है. पीआरओ हर्षिता चौहान ने बताया कि दूसरे फेस के काम के लिए नई एजेंसी की चयन की प्रक्रिया अधीन है. बहुत जल्द ही एजेंसी का चयन कर काम को पूरा कर लिया जाएगा. वहीं, जंग लगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये जिसे टेंडर दिया गया था. उसकी जिम्मेदारी है. खराबी आने पर कंपनी उसे बदलेगी.

  • सरकारी अधिकारियों के कामकाज का तरीका हर समय बदलता रहता है. वह नए-नए प्रोजेक्ट तो लाते हैं. लेकिन उसे धरातल पर उतारने के लिए कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि कोई भी काम पूरा नहीं होता और सिर्फ फाइलों का शोभा बढ़ाता है.

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