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Menstrual Hygiene: लड़कियों में माहवारी स्वच्छता को लेकर बढ़ी जागरूकता, पीरियड में भी बेझिझक पहुंच रहीं स्कूल - शिक्षिका श्रावणी घोष

माहवारी के प्रति चुप्पी को तोड़ने का प्रयास में बिहार की शिक्षा, आंगनबाड़ी सेविकाआएं और जीविका दीदियों को अब धीरे-धीरे सफलता मिल रही है. काफी हद तक लड़कियों में इसे लेकर झिझक और भ्रांतियों को दूर किया गया है. यही वजह है कि लड़कियों में इसके प्रति जागरूकता बीते 1 वर्ष में 25% बढ़ी है और यह बढ़कर 58% हो गई है.

पटना में माहवारी स्वच्छता के लिए अभियान
पटना में माहवारी स्वच्छता के लिए अभियान

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Published : Jun 13, 2023, 9:28 AM IST

श्रावणी घोष, शिक्षिका

पटनाः बिहार में महिलाओं में माहवारी के समय में सेनेटरी पैड के इस्तेमाल को लेकर के जागरूकता बीते 1 वर्ष में 25% बढ़ी है और यह बढ़कर 58% हो गई है. माहवारी स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैलाने में मध्य विद्यालय और उच्च विद्यालयों की शिक्षिकाओं, आशा वर्कर, आंगनबाड़ी सेविकाआएं और जीविका दीदियों का रोल बहुत अहम है और उन्हीं की बदौलत महावारी स्वच्छता को लेकर 1 वर्ष में 25% जागरूकता बढ़ी है. बिहार सरकार के महिला एवं बाल विकास निगम से माहवारी जागरूकता के क्षेत्र में पूर्णिया जिले से उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कृत होने वाली शिक्षिका श्रावणी घोष ने बताया कि मध्य विद्यालयों में लड़कियों में जागरूकता फैलाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण रहा.

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माहवारी स्वच्छता के लिए शिक्षिकाएं कर रही जागरूकः शिक्षिका श्रावणी घोष ने बताया कि 1 वर्ष पहले महिला एवं बाल विकास निगम की ओर से उनके आदर्श सामान्य मध्य विद्यालय में शुरू हुआ और उन्हें लड़कियों के बीच महावारी स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैलाने का दायित्व सौंपा गया. शुरुआत में काफी कठिनाई आई. यह देखा जाता था कि मध्य विद्यालयों में लड़कियों का अटेंडेंस कम रहता था. पीरियड के बारे में कोई बात करना नहीं चाहता था. 10 वर्ष से 15 वर्ष की लड़कियों को उन्होंने माहवारी स्वच्छता को लेकर जागरूक करना शुरू किया. इसके बाद परिणाम यह हुआ कि पहले माहवारी के समय लड़कियां विद्यालय नहीं आती थी लेकिन अब लड़कियां बेझिझक विद्यालय आ रही हैं, क्लास भी कर रही हैं.

"लड़कियां माहवारी के संबंध में बात करने में काफी शर्माती थी, उनमें झिझक होती थी, बात करना नहीं चाहती थी लेकिन हमने लड़कियों को बताया कि यह एक नेचुरल प्रक्रिया है और इसमें झिझक और शर्माने की आवश्यकता नहीं. माहवारी के समय साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए और सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करना चाहिए. इस संबंध में धीरे-धीरे लड़कियों में जागरूकता बढ़ी और अब इसका असर यह है कि विद्यालयों में लड़कियों की अटेंडेंस काफी बढ़ी है"- श्रावणी घोष, शिक्षिका

विद्यालयों में लगाई गई सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीनः शिक्षिका श्रावणी घोष ने बताया कि उनके विद्यालय में सहेली कक्ष भी बनाया गया है. लड़कियों में मासिक के समय जब दर्द होता है तो सहेली कक्ष में जाकर वह आराम करती हैं. प्रदेश के 300 विद्यालयों में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन और इनसीनेटर लगाया गया है और इसमें उनका विद्यालय भी शामिल है. विद्यालय में कक्षा के दौरान अचानक यदि लड़की को पीरियड आ जाता है तो सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करती है और इस्तेमाल किए सेनेटरी पैड को इनसीनेटर में जलाकर भस्म कर देती हैं. इससे स्वच्छता भी बनी रहती है.

पीरियड के समय सेनेटरी पैड का इस्तेमाल जरूरीः शिक्षिका श्रावणी घोष ने बताया कि इसे लेकर कई प्रकार की भ्रांतियों बच्चियों में बैठी हुई थी. जैसे माहवारी के समय नहाते नहीं है, घर में एक कोना पकड़कर शांति से बैठ जाते हैं, दौड़ भाग नहीं कर सकते हैं, पूजा पाठ नहीं कर सकते हैं, आचार नहीं छू सकते हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने बच्चियों को यह समझाया कि यह सब गलत बात है और माहवारी के समय में स्वच्छता पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए. माहवारी के समय सेनेटरी पैड का ही इस्तेमाल करें, 3 घंटे के बाद पैड को बदल दें, माहवारी के दौरान शरीर के कपड़े को प्रतिदिन साफ करें और दिन में 1 से 2 बार स्नान जरूर करें.

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