पटना:राजधानी पटना से महज कुछ दूरी पर बसा तारेगना गांव अपने नाम के साथ एक महत्वपूर्ण इतिहास का गवाह है. ऐसा इतिहास, जिसने गणित के सूत्रों और तारों की गणना की परिकल्पना की. हम बात कर रहे है आर्यभट्ट की कर्म भूमि की.
महान खगोलविद् और गणितज्ञ आर्यभट्ट जिन्होंने नकेवल शून्य का आविष्कार किया, बल्कि ब्रह्मांड के कई रहस्यों को उजागर कर दुनिया को चौंका दिया.उस महान आर्यभट्ट कीकर्मभूमि बिहार रही है. बिहार में वर्षों रह कर अपनी वेधशाला बनाई और तारों कीगणना किया करते थे. उनकी ये वेधशाला जिस स्थान पर थी, उस गांव का नाम उनके काम के आधार पर रख दिया गया. माने तारों की गणना करने वाला गांव तारेगना.
अवशेष मौजूद
तारेगना उसइतिहास का गवाह है, जब छठी शताब्दी में महान खगोलविद आर्यभट्ट नालंदा ज्ञान विश्वविद्यालय शोध करने आये थे. उस दौरान आर्यभट्ट इसस्थान पर रुके और अपने पच्चीस शिष्यों के साथ रह कर तारो के दूरी और ग्रहों कीचाल मापने का शोध करते थे. यही से उन्होंनेकई चौंकाने वाले रहस्यों को देश दुनिया के बारे में बताया.इस पूरी बात का जिक्रआज भी उनके लिखे आर्यभट्टीयम किताब और पटना गजेटियर में है.
कुसुमपुर से खिला शून्य
इतिहासकार बताते है कि कालांतर में पटना का पुराना नाम कुसुमपुर था. इसी से महज कुछ ही दूरी पर बसा गांव तारेगना में एक बडा सा टीला हुआ करता था. उसी टीले से आर्यभट्ट तारों कीगणना करते थे. बहरहाल, जब देश दुनिया के लोगों को इस बात कि जानकारी हुई, तब 22 जुलाई 2009 को दुनियाभर के तकरीबन डेढ सौ आंतरीक्ष वैज्ञानिकों नेइस स्थान पर आकर सूर्यग्रहण का नजारा देखा. यहांसे सूर्य ग्रहण का नजारा काफी देर तक और स्पष्ट दिखा. उस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यहां आकर सूर्यग्रहण देखा.
नासा के वैज्ञानिकों की मांग
बहरहाल, नासा के कई वैज्ञानिकों ने तारेगना आकर शोध किया और माना कि यहां कई शोध किये जा सकते हैं. यहीं नहीं पुरातत्व विभाग के लोगों ने भी तारेगना आकर जांच की. इस गांव की मिट्टी,और खुदाई के दौरान मिली ईंट जो गुप्तकाल की थी. नासा के वैज्ञानिक अमिताभ पांडेय ने कहा कि तारेगना में कई शोध किया जाना बाकी है. मैं सरकार से मिलकर तारेगना पर खुदाई करके इस पर शोध करूंगा.