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ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन की हड़ताल: वामदलों ने भी दिया समर्थन, पटना का डाकबंगला चौराहा घंटों जाम - ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन की तरफ से दो दिवसीय हड़ताल

बिहार के पटना में ट्रेड यूनियनों (All India Trade Union strike in patna) के केंद्र सरकार के खिलाफ दो दिवसीय हड़ताल का खासा असर देखने को मिला. वाम दलों ने भी सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. डाकबंगला चौराहा को घंटों जाम किया गया. पढ़ें पूरी खबर..

All India Trade Union strike in patna
All India Trade Union strike in patna

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Published : Mar 28, 2022, 5:16 PM IST

पटना:निजीकरण का विरोध और पुरानी पेंशन नीति को लागू करने समेत 12 सूत्री मांगों (Protest Against Government Policies in Bihar) को लेकर ऑल इंडिया ट्रेड यूनियनकी तरफ से दो दिवसीय हड़ताल (Trade Unions Call Two Day Bharat Bandh) सोमवार से शुरू हुआ. ऐसे में हड़ताल के पहले दिन सोमवार को विभिन्न ट्रेड संगठनों के सदस्यों ने डाक बंगला चौराहे पर आकर जमकर प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारे लगाए. प्रदर्शन में काफी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए. इस वजह से डाकबंगला चौराहा लगभग 2:30 बजे से जाम रहा. 3 घंटे तक राहगीर जाम के कारण परेशान रहे.

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हड़ताल को वामदलों का समर्थन: ट्रेड यूनियन के हड़ताल को वामदलों ने अपना समर्थन दिया और डाक बंगला चौराहा पर प्रदर्शन कर रहे विभिन्न ट्रेड संगठनों के लोगों को माले विधायक अमरजीत कुशवाहा ने संबोधित किया. इस दो दिवसीय हड़ताल में इंटक, एटक, सीटू, एक्टू, एआईयूटीयूसी आदि 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ साथ राज्य अराजपत्रित कर्मचारी संघ, बैंक, बीमा, डाक, सेल्स प्रमोशन, डीवीसी और रेलवे कर्मचारियों के फेडरेशन और वर्कर्स यूनियन के कार्यकर्ता भी शामिल हैं.

सरकार की नीतियों के खिलाफ बंद का आह्वान:दो दिवसीय हड़ताल पर इंटक के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा कि 'केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों को जमीन पर लागू नहीं होने देंगे. इसके लिए जी जान की बाजी लगा देंगे. दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बाद अगला कदम भी लिया जाएगा. लेकिन देश में 4 लेबर कोड वापस लेना होगा और सरकारी नौकरी बहाल करनी होगी. इन सबके अलावा महंगाई भी एक प्रमुख मुद्दा है. पांच राज्यों में चुनाव था तो लगभग 4 महीने तक पेट्रोल और डीजल का दाम नहीं बढ़े और चुनाव जैसे संपन्न हुए पेट्रोल और डीजल के दाम में प्रतिदिन इजाफा होना शुरू हो गया है. सरकार द्वारा जनता को लूटने का काम अब नहीं चलेगा. निजीकरण के माध्यम से देश की संपत्ति को सरकार चंद पूंजीपतियों को सौंपना चाहती है जिसका सभी पुरजोर विरोध करते हैं और करते रहेंगे.'

"डेली वेज में, संविदा पर, आउट सोर्स पर और कैजुअल में नौकरी नहीं चलेगी. न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करना होगा और श्रम कानून इस देश में जो है उसे लागू करना होगा. इसके अलावा दैनिक मजदूर जो वर्षों से कार्यरत है उन्हें नियमित भी करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में समान काम के लिए समान वेतन का निर्णय दिया लेकिन सरकार इसे लागू नहीं कर रही है."-चंद्र प्रकाश सिंह, इंटक के अध्यक्ष

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निजीकरण का विरोध:वहीं माले विधायक अमरजीत कुशवाहा ने कहा कि 'देश की मोदी सरकार पूरे देश की संपदा को अडानी और अंबानी को बेच रही है. देश में उन्होंने नौजवानों के साथ जो वादा किया था उसके साथ वादाखिलाफी कर रहे हैं. न्यूनतम मजदूरी 25000 करनी चाहिए. न्यूनतम मजदूरी लागू करने, पुरानी पेंशन नीति बहाल करने, सरकारी नौकरियों में वैकेंसी निकालने, निजीकरण को बंद करने जैसे तमाम मुद्दों को लेकर ऑल इंडिया ट्रेड संगठन की ओर से दो दिवसीय हड़ताल का किया है जिसका हम समर्थन कर रहे हैं.'

ये हैं प्रमुख मांगें: 4 श्रमिक कोर्ड निरस्त करने, रक्षा क्षेत्र में हड़ताल पर रोकने वाले कानून को निरस्त करने, कृषि कानून को रद्द करने, बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने, मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि, शहरी क्षेत्र में रोजगार गारंटी, आंगनवाड़ी, आशा मध्यान्ह भोजन, योजना वर्करों मजदूर का दर्जा देने, फ्रंटलाइन वर्करों को उचित सुरक्षा बीमा देने सहित 12 सूत्री मांगें शामिल हैं.

भारत बंद से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित:4 दिनों तक बैंक बंद रहने से आम लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कयास लगाया जा रहा है कि दो दिवसीय हड़ताल के कारण राज्य में 50 हजार करोड़ का कारोबार बाधित होगा. बता दें कि बैंकों के निजीकरण के खिलाफ ये कोई पहली बार नहीं है कि बैंकों को बंद का आह्वान किया गया है. इससे पहले भी कई बार बैंक कर्मचारियों द्वारा बैंकों के निजीकरण का विरोध किया गया है.


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