पटना:देश में एक बार फिर से जातीय जनगणना (Caste Based Census) की मांग उठने लगी है. बिहार में भी इस मुद्दे पर विपक्ष के नेता सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. दूसरी तरफ अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ भी जातीय जनगणना कराने की मांग कर रही है.
यह भी पढ़ें-OBC और पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विरोध करने वाली RJD आज कर रही नाटक- BJP
अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ द्वारा शनिवार को एक बैठक की गयी. बैठक में संघ और विभिन्न सामाजिक और बौद्धिक संगठनों के प्रमुख संचालकों ने देशों के उत्थान के लिए पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की जातिगत जनगणना व मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू कराने के लिए लड़ाई शुरू करने का फैसला किया है.
अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी ने कहा, 'देश के प्रधानमंत्री द्वारा पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्गों को वंचित रखने का प्रयास लोकतंत्र के लिए भारी खतरा है. इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पुरजोर लड़ाई लड़ी जाएगी. एनडीए (NDA) सरकार ने पहले कहा था कि 2021 में जातीय जनगणना कराएंगे, लेकिन मौजूदा सरकार गरीबों, दलितों और पिछड़ों का वोट लेकर मुकर गई.'
"पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के लोगों को जोड़ने के मकसद से बैठक बुलाया गया था. इसमें बिहार के विभिन्न जिलों से भी संगठन के लोग शामिल हुए हैं. बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि प्रधानमंत्री एक महीने के अंदर जातीय जनगणना नहीं कराते हैं तो पूरे बिहार में आरक्षण मार्च निकाला जाएगा."- इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ
यह भी पढ़ें-कुछ इस तरह से ललन सिंह ने पटना में नीतीश कुमार के घर जाकर लिया 'आशीर्वाद'