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बिहार विधानसभा चुनाव में 'उम्र घोटाला', कुछ नेताओं की उम्र नहीं बढ़ी तो कुछ 5 साल में दस साल के हो गए

बिहार विधानसभा चुनाव में ज्यादातर कैंडिडेट तो अपनी सही उम्र बताते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो अपनी उम्र या तो कम कर देते हैं या बढ़ाते ही नहीं है. कुछ तो ऐसे भी होते हैं, जो उम्र बढ़ा भी देते हैं.

Age scam
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Published : Oct 21, 2020, 5:09 PM IST

पटना: ऐसे तो बिहार में घोटाले के कई रिकॉर्ड बन चुके हैं, लेकिन इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जो घोटाले सामने आ रहा है वो काफी चौंकाने वाला है. जी हां,जानबूझकर या गलती से नेताओं के द्वारा उम्र का घोटाले का खेल बिहार विधान सभा चुनाव में खेला गया है.

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कई उम्मीदवारों के उम्र घट गए हैं. तो वहीं कई उम्मीदवारों के उम्र में 2015 के विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामा के अनुसार 10 वर्ष तक बढ़ोतरी अधिक हो गयी है. कुछ उम्मीदवारों के उम्र 5 साल में केवल 2 या 3 साल ही बढ़े हैं और कुछ के उम्र 2015 में जितने थे 2020 में भी उतने ही हैं.

उम्मीदवार के उम्र में गड़बड़ी
पहले चरण में 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को वोट डाला जाना है. जेडीयू, बीजेपी, आरजेडी सहित सभी दलों के उम्मीदवार की उम्र में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी दिख रही है. मंत्री और जदयू के दिनारा से उम्मीदवार जय कुमार सिंह की उम्र 5 साल में 10 वर्ष बढ़ गयी है. तो वहीं, राजद के बरहरा से उम्मीदवार सरोज यादव 2015 में 33 साल के थे 2020 में घटकर 30 साल हो गए.

5 साल में उम्र बढ़ गई दस साल
वहीं, बीजेपी के बाढ़ से प्रत्याशी ज्ञानेंद्र कुमार सिंह की उम्र भी पिछले 5 साल में 10 वर्ष की बढ़ोतरी हो गई है. 2015 में उन्होंने अपनी उम्र 51 साल बताई थी, जबकि 2020 में 61 साल बताई है. भाजपा के कटोरिया सीट से प्रत्याशी निक्की हेंब्रम की उम्र 2015 में 42 साल थी. 2020 में भी 42 साल ही है. भाजपा के चैनपुर से उम्मीदवार और मंत्री बृजकिशोर बिंद विधानसभा की वेबसाइट पर उम्र 1 जनवरी 1966 है. उस हिसाब से उम्र 54 वर्ष 9 महीने होनी चाहिए. लेकिन इन्होंने अपनी उम्र 61 साल बताई है. कुर्था से जदयू प्रत्याशी सत्यदेव सिंह अपना जन्मदिन 20 जून 1950 को बताया है. इसके अनुसार 70 वर्ष से अधिक होना चाहिए. लेकिन 2015 में उम्र 56 साल बताई थी.

देखें रिपोर्ट.

चुनाव में 'उम्र घोटाला'
उसी तरह कांग्रेस के कुटुंबा से प्रत्याशी राजेश कुमार विधानसभा की वेबसाइट पर जन्म 28 जनवरी 1967 है. लेकिन अपनी उम्र 51 साल बताया हैं. जदयू के सूर्यगढ़ा से उम्मीदवार रामधन मंडल की उम्र में भी पिछले 5 साल में 8 साल की वृद्धि हो गई है. 2015 में उन्होंने अपनी उम्र 47 साल बताई थी, जबकि 2020 के शपथ पत्र में 55 वर्ष की आयु बता रहे हैं. दूसरे चरण में भी कई उम्मीदवारों के उम्र में इसी तरह की गड़बड़ी देखने को मिल रही है. जेडीयू के हरि नारायण सिंह 2015 में 75 वर्ष के थे. अब 2020 में 73 वर्ष बता रहे हैं. जदयू के ही उम्मीदवार पूनम देवी 2015 में अपनी उम्र 48 साल बताई थी. 2020 में भी 48 साल ही उम्र बता रही हैं.

ज्यादातर प्रत्याशियों में की उम्र में गड़बड़ी
जदयू से कांग्रेस में गए रवि ज्योति 2015 में अपनी उम्र 42 साल बताए थे और 2020 के शपथ पत्र में 51 साल बता रहे हैं. इनके उम्र में 5 साल के दौरान 9 साल की बढ़ोतरी हो गई है. बेतिया सीट से बीजेपी के उम्मीदवार रेणु देवी ने 2015 में उम्र 52 साल बताई थी और 2020 में 60 साल बता रही हैं. इसी तरह भाकपा माले की कैंडिडेट शशि यादव की उम्र भी 6 साल में 11 साल बढ़ गई है. 2014 में 40 साल बताई थी और अब 51 साल हैं. दानापुर से बीजेपी की उम्मीदवार आशा देवी 2015 में 52 साल उम्र बताई थी. 2020 में 54 की हो गई हैं. यानी 5 साल में केवल दो साल बढ़ी है. यही हाल बीजेपी के उम्मीदवार रणविजय सिंह का भी है. 5 साल में केवल 2 साल बढ़े हैं. सीतामढ़ी से राजद के उम्मीदवार सुनील कुमार ने 2015 में 39 साल उम्र थी और अब 2020 में 42 साल बता रहे हैं. यानी 5 साल में 3 साल की बढ़ोतरी हुई.

आयोग की ओर से उम्र निर्धारित
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के द्वारा चुनाव आयोग के निर्देश पर एक शपथ पत्र भरा जाता है, जिसमें प्रत्याशियों को अपने बारे में ब्यौरा देना होता है. संपत्ति, डिग्री के साथ ही उम्र का जिक्र करना पड़ता है.क्योंकि चुनाव लड़ने की एक उम्र निर्धारित की गई है. लेकिन इस दफा उम्मीदवारों के द्वारा उम्र के घोटाले का खेल सामने आ रहा है. कुछ लोग पिछले 5 साल से एक ही उम्र पर फिक्स हो गए हैं तो कोई 5 साल में तीन साल छोटा हो गया है.

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