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ओडिशा से 3 दिन साइकिल चलाकर झारखंड पहुंचे 19 मजदूर, नवादा तक जारी रखेंगे सफर - jharkhand to nawada

बिहार के नवादा के लिए साइकिल से निकले 19 मजदूर ओडिशा से चलकर लोहरदगा तक पहुंचे. यहां पर पुलिस ने उनको हिरासत में लेकर आवश्यक जांच प्रक्रिया के बाद इन्हें नवादा के लिए रवाना कर दिया.

झारखंड पहुंचे 19 मजदूर
झारखंड पहुंचे 19 मजदूर

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Published : May 5, 2020, 1:14 PM IST

लोहरदगा/पटना: लॉकडाउन की वजह से दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूर अब संयम खो रहे हैं. हर कोई अपने घर वापस लौटना चाहता है. इसके लिए कोई भी किसी तरह का कष्ट सहने को तैयार है. कुछ इसी तरह का मामला लोहरदगा में देखने को मिला. दरअसल, बिहार के 19 मजदूर यातायात के कोई साधन का इंतजाम नहीं होता देख. ओडिशा से ही नवादा तक का रास्ता नापने के लिए निकल पड़े. हालांकि, झारखंड के लोहरदगा में पुलिस ने मजदूरों को हिरासत में ले लिया.

हेल्थ जांच के बाद पुलिस ने छोड़ा
बताया जा रहा है कि झारखंड तक पहुंचने में मजदूरों को 3 दिन का समय लग गया था. लोहरदगा पहुंचने पर मजदूरों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. जिसके बाद मजदूरों ने पुलिस को पूरी पूरी स्थिति की जानकारी दी. आवश्यक जांच-प्रक्रिया के उपरांत पुलिस ने उन्हें आगे की यात्रा के लिए छोड़ दिया.

'परेशानी के बावजूद घर वापसी की जुनून'

बता दें कि नवाद के ये सभी मजदूर ओडिशा के एक स्टील कंपनी में काम करते थे. लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया. बंदी के दौरान मिलने वाले मजदूरी भी मिलना बंद हो गया. भोजन पर ग्रहण लगने के बाद जब स्थानीय सरकार के जरिए जब इनकी मदद नहीं की तो ये साइकिल से ओडिशा से नवादा के लिए निकल पड़े. ये मजदूर धीरे-धीरे झारखंड के लोहरदगा तक पहुंच गए. इस दौरान भी इन्हें 3 दिनों का समय लग गया. मजदूर रात-दिन साइकिल चला रहे थे. कहीं पर एक 2 घंटे आराम कर लिए. उसके बाद फिर साइकिल उठाकर चल दिए.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

19 मजदूरों ने परेशानियों से जूझते हुए लोहरदगा तक का सफर तय किया है. अभी इन्हें बिहार के नवादा तक जाना है. इन मजदूरों के चेहरे पर थकान और परेशानी साफ तौर पर नजर आ रही है. बावजूद घर जाने को लेकर इनका जुनून इन्हें थकने नहीं दे रहा है. लोहरदगा पुहंचने पर आवश्यक जांच-प्रक्रिया के बाद इन्हें बिहार के नवादा के लिए रवाना किया गया. इससे पहले इन्हें पानी और अन्य सामग्री उपलब्ध कराई गई. मजदूर यहां पर कुछ घंटे रुकने के बाद फिर नवादा के लिए रवाना हो गए. मजदूरों का कहना है कि यहां तक पहुंचने में उन्हें स्थानीय लोगों काफी मदद की है.

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