पटना:बिहार की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं. कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जेल से कैदियों की संख्या कम करने को लेकर आदेश जारी किया था. अब जेल प्रशासन उस आदेश को तामील करने का काम कर रहा है.
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बहुत जल्द इन जेलों में बंद कई वैसे कैदी जेल से बाहर आ जायेंगे, जिनकी सजा पूरी होने के कगार पर है. राज्य सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मंजूरी मिल चुकी है. जानकारी के अनुसार राज्य के विभिन्न जेलों में बंद करीब 150 सजायाफ्ता कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया है. इन्हें सजा पूरी होने की तय तारीख से 2 से 6 माह पहले छोड़ा जा रहा है.
''इन जेलों में बंद वैसे सजायाफ्ता कैदी जो अधिकतम सजा काट चुके हैं और अब जिनकी सिर्फ 6 माह की सजा की अवधि बाकी रह गई है, उन्हें रिहा किये जाने की तैयारी चल रही है.''- मिथलेश कुमार, जेल आईजी
सजायाफ्ता कैदियों को छोड़े जाने के निर्णय को लेकर पुलिस मुख्यालय के ADG जितेंद्र कुमार ने उन सभी कैदियों को शुभकामना देते हुए कहा कि वैसे कैदी को छोड़ा जा रहा है, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है, उनसे अपेक्षा है कि अब आमजन के बीच में जा रहे हैं तो समाज में आम और अच्छे व्यक्ति के रूप में अपना आगे का समय अपने परिवार के संग व्यतीत करें.
''जो सजायाफ्ता कैदी सजा काटने के बाद जेल छोड़कर जाएंगे, संबंधित थाना उन पर नजर रखती है. ताकि, भविष्य में किसी भी घटना में वह सम्मिलित ना हो सकें. इसके साथ-साथ उन पर कड़ी नजर भी रखी जाएगी.''- जितेंद्र कुमार, ADG पुलिस मुख्यालय
बता दें कि बिहार के 59 जिलों में करीब 60 हजार कैदी बंद हैं. इनमें 7000 के आसपास सजायाफ्ता कैदी हैं. सिर्फ उन्हीं सजायाफ्ता कैदियों को रिहा किया जाना है, जिन्होंने अपनी अधिकतम सजा पूरी कर ली है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पिछले माह ही कमेटी ने उच्च स्तरीय बैठक के बाद प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, जिसके बाद करीब 150 कैदी को चिन्हित किया गया है.
साथ ही साथ वैसे कैदी को चिन्हित किया गया है, जिनका आचरण जेल में सामान्य रहा है. मिल रही जानकारी के अनुसार इनमें कैंसर, एचआईवी, ल्यूकेमिया, किडनी और डायबिटीज के रोगियों को शामिल किया गया है.