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नवादा के ऋषभ ने पाई NDA की परीक्षा में शानदार सफलता, कहा- बच्चों के रूचि के अनुसार माता-पिता लें निर्णय - सैनिक स्कूल नालंदा

ऋषभ कुमार ने बताया कि एनडीए परीक्षा के लिए सैनिक स्कूल नालंदा से उसे प्रेरणा मिली. विद्यालय प्राचार्य कर्नल मोहम्मद इकबाल हुसैन के निर्देशन में उचित वातावरण के कारण ही उसने अपनी मेहनत के बल पर यह सफलता हासिल की है.

Rishabh Kumar
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Published : Sep 22, 2020, 4:44 PM IST

नवादा: कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो. इस कहावत को चरितार्थ पकरीबरावां प्रखंड मुख्यालय के शांति नगर मोहल्ला निवासी ज्ञानचंद बरनवाल उर्फ टुनटुन के पुत्र ऋषभ कुमार ने कर दिखाया है.

दरअसल, ऋषभ ने गरीबी हालात में जी कर भी एनडीए की परीक्षा में 240वां रैंक लाकर यह बता दिया है कि सफलता के मार्ग में गरीबी बाधक नहीं बन सकती है. वहीं अपने बेटे की सफलता से पिता ज्ञानचंद बरनवाल और माता रानी देवी काफी खुश है.

'सैनिक स्कूल नालंदा मिली प्रेरणा'
ऋषभ कुमार ने बताया कि अपने जीवन में उसने जो लक्ष्य रखा था. वो अपने मेहनत के बल पर वह लक्ष्य के करीब आता जा रहा है. उसने बताया कि एनडीए परीक्षा के लिए सैनिक स्कूल नालंदा से उसे प्रेरणा मिली. विद्यालय प्राचार्य कर्नल मोहम्मद इकबाल हुसैन के निर्देशन में उचित वातावरण के कारण ही उसने अपनी मेहनत के बल पर यह सफलता हासिल की है.

‘शिक्षकों के मार्गदर्शन से एनडीए में हासिल की सफलता’
उसने बताया कि 2013 में ही अपने परिश्रम के ही बलबूते सैनिक स्कूल नालंदा में नामांकन कराया था, जहां 2018 में मैट्रिक की परीक्षा पास की और उसी विद्यालय से 2020 में 12वीं की परीक्षा भी उत्तीर्ण की. विद्यालय का समुचित परिवेश और शिक्षकों के अच्छे मार्गदर्शन के कारण उसने एनडीए में अपने पहले प्रयास में ही सफलता हासिल कर ली.

कठिन परिश्रम करने की दी सलाह
उसने बताया कि तीन साल ट्रेनिंग के उपरांत वह फाइटर पायलट बन जाएगा, जो उसके जीवन का लक्ष्य था. उसने बताया कि इस सफलता के लिए वह प्रतिदिन 10 से 12 घंटे का कठिन स्वाध्याय करता था. जिसने उसकी सफलता की राह को आसान बना दिया. उसने विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को कठिन परिश्रम करने की सलाह दी.

उसने बताया कि परिश्रम के अलावा और दूसरा कोई विकल्प नहीं है. उसने बताया कि आजकल के माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने का सपना देखते हैं और इसी के पीछे वो अपना सारा धन गवा देते हैं, जबकि माता-पिता अपने बच्चों की रुचि को पंख और उचित निर्णय लें, तभी उनका बच्चा अपना मुकाम हासिल कर पाएगा.

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