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नवादा: हवलदार से असिस्टेंट कमांडेंट बनकर संजीव ने गांव का नाम किया रौशन, असम राइफल्स में हुई तैनाती

नवादा के संजीव असिस्टेंट कमांडेंट (Nawada Sanjeev become assistant commandant) बन गये हैं. उनके कमांडेंट बनने से गांव के लोग का खुश हैं. कमांडेंट बनने के बाद उनकी तैनाती असम राइफल्स में हुई है. पढ़ें पूरी खबर

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Published : Dec 11, 2022, 10:24 AM IST

नवादा:बिहार के नवादाजिले के नक्सल प्रभावित रोह प्रखंड क्षेत्र के रुपौ गांव में सूबेदार मेजर सत्येंद्र प्रसाद सिंह के पुत्र संजीव कुमार असम राइफल्स में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट बनकर पूरे गांव और क्षेत्र का नाम रौशन किया है. असिस्टेंट कमांडेंट संजीव कुमार (Assistant Commandant Sanjeev Kumar) अफसर बनने से पहले असम राइफल्स में बतौर हवलदार के पद पर 18 वर्षों से कार्यरत थे. दूसरी प्रयास में सफलता हासिल कर असिस्टेंट कमांडेंट बनने की खबर से पूरे परिवार और क्षेत्र में खुशी की लहर है.

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रुपौ गांव के संजीव कुमार बने असिस्टेंट कमांडेंट: संजीव के परिजनों को जानने वाले उन्हें बधाई दे रहे हैं. 10 दिसंबर को ऑफिसर्स प्रशिक्षण अकादमी ओटीए गया में टीईएस 40 और एससीओ कोर्स 49 के कुल 59 जेटंल मैन कैडेट ने अपना 1 वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त कर आज भारतीय सेना में बतौर 54 कैंडिडेट लेफ्टिनेंट और 5 कैंडिडेट असम राइफल्स में असिस्टेंट कमांडेंट नियुक्त हुए. संजीव की प्रथम पोस्टिंग नागालैंड के तुरूनसांग जिला में असम राइफल्स की 28 वीं बटालियन में हुआ है.

पिता ने जताई खुशी: संजीव के पिता सूबेदार मेजर सत्येंद्र प्रसाद सिंह कहते हैं आज तक हमारा परिवार सेना को जवान दे रहा था. अब मेरे परिवार तथा रूपौ गांव में सेना को अफसर भी देना शुरू कर दिया है. असिस्टेंट कमांडेंट संजीव कुमार के पिता सत्येंद्र प्रसाद सिंह असम राइफल्स में सूबेदार मेजर के पद पर तैनात हैं. उनके अलावा उनके चाचा भूतपूर्व सूबेदार मेजर देवनारायण सिंह सहित अन्य परिवार के सदस्य भी सेना में अन्य पदों पर तैनात हैं.

पत्नी ने भी लिया प्रशिक्षण: संजीव कुमार की पत्नी सुनीता कुमारी ने भी एससीओ कोर्स के अफसरों की पत्नियों के साथ 15 दिन का प्रशिक्षण ओटीए गया में प्राप्त की. संजीव की मां का सपना था कि उनका बेटा सेना में अधिकारी बने और गांव का नाम रोशन करे. असिस्टेंट कमांडेंट बनने पर उनके पुत्री रत्नप्रिया सिंह और सुप्रिया सिंह, पुत्र सौरभ सिंह, बहन वंदना सिंह फुले नहीं समा रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि असिस्टेंट कमांडेंट बन कर गांव के युवक को अफसर बनने का सपना जगाया है.

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