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खुरी नदी पर धड़ल्ले से चल रहा अतिक्रमण, प्रशासन साध रखी है चुप्पी! - khuri river

मगध का ह्रदय कहा जाने वाला नवादा संसदीय क्षेत्र खुरी नदी के किनारे बसा हुआ है. नदी के किनारे दबंगों और रसूखदारों का अतिक्रमण

नदी पर चल रहा है अतिक्रमण

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Published : Apr 27, 2019, 12:00 PM IST

नवादाः जिले की खुरी नदी का अस्तित्व खतरे में दिखाई दे रहा है. इसके पीछे की वजह नदी के किनारे दबंगों और रसूखदारों का अतिक्रमण है. जिला प्रशासन को भी इस बात की जानकारी है, बावजूद इसके प्रशासन की नाक के नीचे अतिक्रमण का खेल धड़ल्ले से चल रहा है.

मगध का ह्रदय कहा जाने वाला नवादा संसदीय क्षेत्र खुरी नदी के किनारे बसा हुआ है. लाइफ लाइन कही जाने वाली खुरी नदी का अस्तित्व कुछ इस कदर खतरे में है कि नदी के किनारे अतिक्रमण जोरों से हैं. इसके चलते नदी पतली होती जा रही है. वहीं, अतिक्रमण की वजह से गंदे पानी का बहाव नदी में किया जा रहा है. लिहाजा नदी धीरे-धीरे नाले में तब्दील हो गई है.

नदी पर चल रहा है अतिक्रमण

ये हैं हालात
नदी की भूमि पर दोनों तरफ बड़ी-बड़ी आलीशान बिल्डिंग बनायी जा चुकी है. अभी भी लगातार नदी से ही मिट्टी भरने का काम जारी है, जो पर्यावरण की दृष्टिकोण से सही नहीं है. यही नहीं नदी की जमीन कब्जाने के लिए यहां मंदिर की स्थापना की गई है. रातों-रात बने इस मंदिर के पीठ पीछे नदी के जीवन से भी खिलवाड़ किया जा रहा है.

अतिक्रमणकारियों का खौफ
स्थानीय लोगों में भी अतिक्रमणकारियों का खौफ इतना है कि कुछ लोग अतिक्रमण होता देख तो रहे हैं, मगर कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. बुजुर्ग गौरी शंकर प्रसाद ने बताया कि यह नदी पहले काफी चौड़ी थी. इसपर कुछ लोगों ने धीरे-धीरे अतिक्रमण कर लिया है. बाढ़ आयेगी सबको बहा कर ले जाएगी. जानमाल का नुकसान होगा. नदी तो राष्ट्रीय संपत्ति है ऐसा नहीं होना चाहिए था.

नदी पर चल रहा है अतिक्रमण

बरसात बाद शुरू होता है ये काम
बरसात के दिनों में नदी उफना जाती है. फिर उसके कुछ ही दिन बाद पूरी तरह सूख जाती है. पिछले कई वर्षों से पानी कम होने के कारण नदी में पानी का स्तर घट गया है. इसका सीधा फायदा अतिक्रमणकारी उठा रहे हैं. अगर अतिक्रमण दिन पर दिन ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन नदी पूरी तरह खत्म हो जाएगी.

प्रशासन मौन
इस बाबत नवादा सदर अनुमंडल पदाधिकारी से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से परहेज करते हुए फोन काट दिया. जब जिलाधिकारी के नाक के नीचे नदी का ये हाल हैं, तो शहर से बाहर इस नदी पर कितना अतिक्रमण हो रहा होगा. ये अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. आखिर जिला प्रशासन की क्या मजबूरी है कि वो मौन है.

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