नवादा: जिले के जयसिन बिगहा गांव में ग्रामीण स्तर पर लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. ये पीएचसी गौशाला बन गया है. वहीं, इसके गेट पर ताला लटका रहता है.
गांव का पीएचसी जर्जर हो चुका है. वहीं, छत से सीमेंट की परतें टूट-टूटकर गिर रही हैं.कुल मिलाकर सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए किए जा रहे बड़े-बड़े दावों को ये पीएचसी मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है. बता दें कि गांव बिगहा जिला मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर बसा है.
कहां कराए प्राथमिक उपचार
इस गांव में पिछड़ी और अतिपिछड़ी जाति के हजारों लोग रहते हैं. लेकिन उन्हें इस अस्पताल से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. अस्पताल खुलता तो जरूर है लेकिन सिर्फ पल्स पोलियो की खुराक पिलाने के लिए. ऐसे में किसी ग्रामीण के बीमार हो जाने पर उसका प्राथमिक उपचार नहीं हो पाता.
डॉक्टरों का पता नहीं
ग्रामीणों का कहना है कि यह अस्पताल 8-10 साल से बंद है. यहां डॉक्टर भी नहीं आते हैं. पहले डॉक्टर यहीं रहते थे और आगे वाले मकान में इलाज होता था और दवाई मिलता थी. अब तो पता ही नहीं चलता है कि डॉक्टर कब आते हैं और कब चले जाते हैं. जब पोलियो पिलाने का समय आता है तब 5-6 दिन यहां रहते हैं और फिर उसके बाद इसमें ताला लग जाता है.
पीएचसी की दिवारों के हालात शिकायत पर कोई नहीं सुनता
गांव वालों का कहना है कि उन्हें और गांव के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कुछ भी होने पर गांव वालों को नवादा सदर अस्पताल जाना पड़ता है. शिकायत करने पर भी कोई कुछ नहीं सुनता.
डीएम से मीटिंग का बहाना
वहीं, जब इन समस्याओं को लेकर सिविल सर्जन से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने डीएम के साथ मीटिंग की बात कह फोन काट दिया. ज0बकि उस वक्त डीएम कहीं और विजिट पर गए हुए थे. इधर सर्जन अन्य लोगों के साथ रिफ्रेशमेंट ले रहे थे.
किसी के पास कोई जवाब नहीं
यहां साफ होता है कि स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े सवाल का जबाव इस वक्त न तो बिहार सरकार के पास है और न ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के पास. इनके पास कुछ है तो महज बहाना या तो जांच की दिलासा देना. सवाल यही है कि कब ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध करायी जाएगी?.