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नालंदा सदर अस्पताल में फर्श पर घंटों तड़पता रहा मरीज, कोई सुध लेने वाला नहीं दिखा

नालंदा में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही (Negligence of health department in Nalanda) सामने आई है. सदर अस्पताल बिहार शरीफ में एक मरीज घंटों तक तड़पता रहा, लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. जब एंबुलेंस कर्मी की उसपर नजर पड़ी तब जाकर उसे भर्ती कराया गया. पढ़ें पूरी खबर.

सदर अस्पताल में फर्श पर मरीज
सदर अस्पताल में फर्श पर मरीज

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Published : Sep 28, 2022, 7:27 PM IST

Updated : Sep 28, 2022, 8:18 PM IST

नालंदा:बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System In Bihar) को लेकर सरकार और उनके मंत्री भले ही बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन उसकी जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है. ताजा मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के गृह क्षेत्र नालंदा सदर अस्पताल का है. ये हॉस्पीटल यहां का एक मात्र आईएसओ प्रमाणित अस्पताल है. जहां की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बिल्कुल चौपट है.

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सदर अस्पताल में फर्श पर मरीज: यह तस्वीर नालंदा सदर अस्पताल का है. जहां पर 24 घंटे रोगियों का इलाज मुफ्त में किया जाता है. यह तस्वीर अपने आप में बयां कर रही है कि आखिर अस्पताल प्रशासन कहां लापता है? पीड़ित व्यक्ति बिहार शरीफ के वार्ड संख्या 34 निवासी कपील प्रसाद हैं, जो सदर अस्पताल इलाज के लिए आए थे. रिक्शा से उतरने के बाद दवा वितरण कक्ष में चक्कर आने लगा. जिस वजह से वहां बरामदे पर बैठ गए. उसके बाद वह बेहोशी की हालात में लेट गए और घंटों तड़पते रहे. इस दौरान उन्हें देखने कोई नहीं आया.

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही: जब निजी एम्बुलेंस चालकों की बुजुर्ग पर नजर पड़ी तो उन्होंने दुकान से तेल खरीद कर बुज़ुर्ग को मालिश किया. उन्हें पानी के सहारे होश में लाने की कवायद शुरू किया और उसमें उन्हें सफलता हासिल हुआ. जब बुजुर्ग के पॉकेट से आधार कार्ड मिला तो उसके जरिए उनका पहचान कर मीडिया कर्मियों के हस्तक्षेप से परिजनों को सूचित किया.

मामला उजागर होने पर कराया गया भर्ती: घटना की सूचना मिलने के बाद बुजुर्ग के परिजन अस्पताल पहुंचे और पीड़ित को भर्ती करवाया. जहां डॉक्टरों ने उसकी नाज़ुक हालात को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया. आपको बता दें कि इलाज में ले जाने से पहले बुजुर्ग के परिजन सहित मोहल्ले वासी भी मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन के कोई भी लोग बुजुर्ग की सुध लेना मुनासिब नहीं समझे.

अस्पताल प्रशासन पर उठा सवाल: सदर अस्पताल में इस स्थिति को देखते हुए सवाल उठता है कि आखिर इस तरह की व्यवस्था कब तक. जहां स्वास्थ्य मंत्री हर अस्पताल में करोड़ों रुपए के फंड इस नाम पर दे रहे हैं, कि हर अस्पताल हाईटेक हो और लोगों को उचित इलाज मिल पाए. मुख्यमंत्री नीतीश के गृह जिले नालंदा का एक मात्र आईएसओ प्रमाणित सदर अस्पताल का हालात यह है तो बाकी जिलों के अस्पतालों का क्या हाल होग. डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने मामले को संज्ञान में लेते हुए दुःख जताया और कहा कि इस तरह की गलती दोबारा नहीं हो इसके लिए वो पहल करेंगे.

"ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए, हम ध्यान रखेंगे इस पर और एक्स्ट्रा स्टॉफ लगाएंगे, जिससे किसी को दिक्कत नहीं हो. स्ट्रेचर पर मरीज को लाना चाहिए था. हॉस्पीटल स्टाफ को लाना था, समय पर इलाज देना था. समय पर ट्रीटमेंट देना था. मुझे देखकर बुरा लगा. देखते हैं. इसके लिए जिम्मेवारी तय करते हैं."- डॉ अविनाश कुमार सिंह, सीएस, सदर अस्पताल बिहार शरीफ, नालंदा

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Last Updated : Sep 28, 2022, 8:18 PM IST

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