नालंदा : जिले में जीविका का प्रमुख साधन पर्यटन उद्योग माना जाता है. यहां बड़ी संख्या में देश और विदेश से सैलानी आते हैं, जिसके कारण हजारों परिवार का रोजी रोटी इस पर्यटन उद्योग से ही चलता है. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को देखने भारत ही नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना होता है. लॉकडाउन के कारण पर्यटन उद्योग पर बुरा असर पड़ा है और इस उद्योग से जुड़े लोगों के रोजी रोजगार के समक्ष संकट उत्पन्न कर दिया है.
देशी-विदेशी पर्यटक आते है नालंदा
वैसे तो ठंड के मौसम में नालंदा के भ्रमण के लिए सैलानियों की तादाद काफी ज्यादा होती है, लेकिन विगत कुछ वर्षों से यहां सालों भर पर्यटकों का आना होता है. बताया जाता है कि पर्यटकों से गुलजार रहने वाला यह प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में प्रतिदिन 10 से 15 हजार देशी-विदेशी पर्यटक और छात्र आते हैं. सरकार के द्वारा लागू की गई नीति बिहार परिभ्रमण के दौरान भी बड़ी संख्या में छात्र अपने पर्यटन स्थल को देखने पहुंचते हैं. ऐसे में लॉकडाउन ने पर्यटन उद्योग पर बुरा असर डाला है.