नालंदा:सावन में शिव पर कांवड़ चढ़ाने के बाद राजगीर के गर्म कुंड में नहाने का विशेष महत्व है. सावन के महीने में यहां भारत के अलग-अलग कोनों से लाखों कांवड़िये दर्शन करने पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां बने गर्म कुंड में स्नान करने से हर दुख-दर्द और रोगों का निवारण होता है.
पधारे थे श्री कृष्ण
धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से राजगीर का एक अलग ही महत्व है. बताया जाता है कि यहां की पंच पहाड़ी दो करोड़ से 10 करोड़ वर्ष पुरानी है. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यहां जरासंध का अखाड़ा और पांडु पोखर है. यहां के लोगों का मानना है कि कई साल पहले राजगीर की धरती पर भगवान कृष्ण का भी आगमन हुआ था. जिसके बाद से यह स्थल लोगों के बीच आस्था का केन्द्र बना हुआ है.
12 वर्ष तक रहे थे भगवान बुद्ध
राजगीर जैन धर्म के 20 वें तीर्थंकर की जन्मभूमि रही है. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पहले और बाद में 12 वर्ष तक यहां रहे थे. वो यहां के वेणुवन में ठहरा करते थे और गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश देते थे. उन्होंने अपना प्रथम प्रवचन विपुलगिरी में दिया था.