मुजफ्फरपुर:भूख और बेबसी में इंसान वैसे काम करने को भी मजबूर हो जाता है, जिससे वह अक्सर दूर भागता है. जिस स्थान पर कोई आम आदमी खड़ा नहीं हो सकता. वहां कई ऐसे लोग हैं, जो अपने पेट की आग बुझाने के लिए घंटों काम करते हैं. ऐसा ही एक मामला मुजफ्फरपुर का है. जिले के कांटी प्रखंड (Kanti Block) में एनटीपीसी के पावर प्लांट (NTPC Power Plant) से निकलने वाले गंदा पानी से कोठिया गांव के सैकड़ों परिवार की जिंदगी चल रही है.
यह भी पढ़ें-पटना में डीजल ऑटो के परिचालन की डेडलाइन खत्म, चालक परेशान
अमूमन पानी में खड़े बच्चों और महिलाओं को देखकर लगता है कि ये लोग मछली पकड़ने के लिए तालाब में उतरे हैं, लेकिन यह आंखों का धोखा और वहम है. दरअसल, ये लोग एनटीपीसी के पावर प्लांट के गंदे पानी के साथ निकलने वाले झाग को इकट्ठा करने में जुटे रहते हैं. स्थानीय लोग दिनभर प्लांट से निकलने वाले गंदे पानी का इंतजार करते हैं. जैसे ही प्लांट से पानी निकलना शुरू होता है. लोग फेन (झाग) इकट्ठा करने लगते हैं.
एनटीपीसी के पावर प्लांट के टेलिंग पॉन्ड से निकलने वाले झाग का इस्तेमाल पटाखों के निर्माण के साथ-साथ आयल रिफाइनिंग से जुड़े काम में होता है. व्यापारी इसे 15 से 20 रुपये किलो की दर से खरीदते हैं. इससे आसपास के ग्रामीणों की आमदनी हो जाती है. पर्यावरणविद और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ एस के झा ने कहा कि एनटीपीसी के पावर प्लांट के गंदे पानी से लोग जिस झाग को इकट्ठा करते हैं उसमें आर्सेनिक जैसे कई खतरनाक रसायन हैं. लगातार इसके संपर्क में रहने पर चर्मरोग, एक्जिमा और कैंसर तक हो सकता है.
कांटी के विधायक इसराइल मंसूरी ने कहा कि एनटीपीसी का पावर प्लांट कांटी के लोगों के लिए बर्बादी का सबब बन गया है. प्लांट से निकलने वाले राख और छाइ से पूरे इलाके की खेती तबाह हो गई है. इसके लिए पूरी तरह एनटीपीसी प्रबंधन जिम्मेदार है. रासायनिक कचरा की निकासी पर अविलंब रोक लगानी चाहिए ताकि ग्रामीणों को बचाया जा सके.