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बिहार में अब सरकारी जमीन पर डाका, मुजफ्फरपुर में बेच दी सामुदायिक भवन की जमीन - मंत्री रामसूरत राय

कुछ महीने पहले ही स्वास्थ्य उपकेंद्र को बेचे जाने के बाद अब मुजफ्फरपुर में सामुदायिक भवन की जमीन को बेच डाला गया. मामला सामने आने के बाद बिहार के राजस्व मंत्री रामसूरत राय (Minister Ramsurat Rai) ने कहा कि अगर इस तरह की बेईमानी की गई है, तो उसकी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होगी.

सामुदायिक भवन का जमीन बिकी
सामुदायिक भवन का जमीन बिकी

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Published : Jun 15, 2022, 2:32 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार में एक बार फिर सरकारी जमीन (Government Land Sold In Muzaffarpur) को बेच देने का मामला सामने आया है. इस बार सरकारी संपत्तिके साथ की गई गड़बड़ी की ये घटना मुजफ्फरपुर के साहेबगंज प्रखंड के जगदीशपुर पंचायत (Sub Health Center land Jagdishpur Panchayat Sold) की है. मुजफ्फरपुर के कुढ़नी उप स्वास्थ्य केन्द्र के बेचे जाने के बाद अब मधुरापुर गांव के सामुदायिक भवन और उपस्वास्थ्य केंद्र की जमीन भी बेच दी गई और किसी को पता भी नहीं चला. ये जमीन उस शख्स ने बेची, जिसके दादा ने जमीन राज्यपाल को दान में दी थी. मामला तब सामने आया, जब खरीदार ने जमीन पर अपनी दावेदारी पेश की.

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दरअसल, भूस्वामी रामविलास सिंह ने 8 दिसंबर 1995 को खाता नंबर 85 और दो खेसरा नंबर 1303 से 7 डिसमिल और 1298 से 3 डिसमिल जमीन बिहार सरकार को दान में दे दी. दान में दी गई जमीन पर सामुदायिक भवन और उपस्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हो गया. लेकिन भूस्वामी के पोता ने मोटी रकम लेकर खाता नंबर 85 व खेसरा नंबर 1303 से दो डिसमिल जमीन गांव के ही हरेंद्र राय को 8 दिसंबर 2021 को रजिस्ट्री कर दी. जब खरीदार जमीन पर अपना कब्जा जमाना शुरू किया तो लोगों को शक होने लगा. जमीन का कागज निकाला गया तो दान में दी गई जमीन के बिक्री होने का पता चला.

"ये हमारी खानदानी जमीन है. 7 डिसमिल मेरे दादा जी ने समुदायिक भवन के लिए दान कर दी थी. अब उस पुश्तैनी जमीन में से कागज के अधार पर जो बच रहा है, उसमें से हमने 2 डिसमिल रजिस्ट्री कराई है. लेकिन जो पड़ोस में लोग यहां रह रहे हैं, उनका कहना है कि टोटल जमीन सरकारी हो गई है. इस जमीन की जांच हुई है, नापी करवा के सीओ साहब ने 7 डिसमिल जमीन निकाल ली है, जो बच गई वो हमारी पुश्तैनी जमीन है. बेकार का विवाद हो रहा है, हमने पेपर भी दिखाया है, आगे जो कानूनी प्रक्रिया है वो होगी"- मुन्ना सिंह, जमीन विक्रेता

"घटना होती रहती है और सरकार अपना काम करती रहती है. किसी ने अगर कोई बेइमानी की है, तो उस पर कार्रवाई होगी. कुछ लोगों के द्वारा फर्जी जमाबंदी या म्यूटेशन नहीं रहता या विभाग की कमी के कारण ये परेशानी आती है. मैनें विभाग को निर्देशित किया है कि अपकी जितनी जमीन है, उसका म्यूटेशन करा लें. पुरानी जमीन के जो भूमिदाता हैं, उनके नाम पर जमीन रहने के कारण उनके वशंज इसे बेच देते हैं. जो लोग जमाबंदी लाते हैं उसी के अधार पर निबंधक द्वारा जमीन रजिस्ट्री की जाती है. स्थल पर जाकर इसकी जांच नहीं होती, ऐसा कोई कानून नहीं बना है"- रामसूरत राय, राजस्व मंत्री बिहार

सवालों के घेरे में निबंधन विभाग के कर्मी:वहीं, इस मामले में निबंधन विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. जिला अवर निबंधक भले ही रोक सूची में जमीन के शामिल नहीं होने के कारण रजिस्ट्री की बात कह रहे हो, लेकिन प्रावधान के अनुसार किसी जमीन की खरीद-बिक्री से पहले निबंधन विभाग की ओर से उसकी स्थल जांच की जाती है. पर विभाग ने नियम-कानून को ताक पर रखकर जांच किए बगैर जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई. बताया गया है कि जमीन की रजिस्ट्री के बाद साहेबगंज अंचल से उस जमीन की दाखिल खारिज भी करा ली गई है.

क्या है अवर निबंधक का कहनाःइस सिलसिले में जिला अवर निबंधक ने कहा कि रोक सूची में उक्त जमीन के शामिल नहीं होने के कारण जमीन की रजिस्ट्री हो गई. वहीं, साहेबगंज के अंचलाधिकारी का कहना कि इस तरह की शिकायत मिली है. पूरी जमीन की मापी कराई जाएगी. संभव है कि दान में दी गई जमीन का स्वास्थ्य विभाग की ओर से दाखिल-खारिज नहीं कराया गया हो.

पहले भी बेची जा चुकी है कई सरकरी संपत्तिःआपको बता दें कि इससे पहले मुजफ्फरपुर में ही कुढ़नी प्रखंड की जम्हरूआ पंचायत में बने स्वास्थ्य उपकेंद्र को बेच दिया गया था. बताया जाता है कि साढ़े चार दशक से स्वास्थ्य उपकेंद्र चल रहा था. लेकिन जमीन की जमाबंदी के समय यह पकड़ में आया. मामला सामने आने के बाद अंचल अधिकारी (सीओ) ने अस्पताल बेचे जाने की पुष्टि करते हुए जमाबंदी पर रोक लगा दी. वहीं, पंचायत के मुखिया ने भी मामले को जिलाधिकारी तक पहुंचाया. अपर समाहर्ता के स्तर से इसकी जांच जारी है. इतना ही नहीं इससे पहले पूर्णिया में रेलवे इंजन को बेचने का मामला भी सामने आ चुका है. उसके कुछ ही दिनों के बाद ही रोहतास, जहानाबाद और मुंगेर में भी पुल को बेचने की बात ने सबको चौंका दिया था. अब मुजफ्फरपुर में समुदायिक भवन की जमीन को बेचने के मामले ने तूल पकड़ लिया है.

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