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कांटी विधानसभा सीट पर RJD प्रत्याशी को लेकर बवाल, एक-एक कर पार्टी नेता दे रहे इस्तीफा

पार्टी में अपनी उपेक्षा से आहत हैदर आजाद ने कहा कि वे पिछले 20 सालों से पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे थे. लेकिन जिस तरह पार्टी में बाहरी लोगों को तरजीह मिल रही है. उससे सभी कार्यकर्ता बेहद मायूस है.

Hyder Azad
Hyder Azad

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Published : Oct 13, 2020, 11:03 PM IST

मुजफ्फरपुर: चर्चित कांटी विधानसभा सीट को लेकर आरजेडी नेताओं के बीच घमासान मचा हुआ है. यहां से टिकट नहीं मिलने पर आरजेडी के एक के बाद एक नेता पार्टी छोड़ रहे है. कांटी विधानसभा से आरजेडी की ओर से इस्माइल मंसूरी को टिकट दिया गया है. इसके बाद पार्टी के कार्यकर्ता और नेता ही उनका विरोध करने लगे. इतना ही नहीं इस्माइल मंसूरी को टिकट देने पर वरीय नेता परवेज ने सबसे पहले पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया. इसके बाद आरजेडी नेता हैदर आजाद ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर सबको चौंका दिया है. ईटीवी भारत संवाददाता ने हैदर आजाद के खास बातचीत की.

'कार्यकर्ता बेहद मायूस'
कांटी विधानसभा क्षेत्र में अपनी पैठ रखने वाले हैदर आजाद ने कहा कि वे आगामी 17 अक्टूबर को राजद छोड़ने का विधिवत घोषणा कर देंगे. पार्टी में अपनी उपेक्षा से आहत हैदर आजाद ने कहा कि वे पिछले 20 सालों से पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे थे. लेकिन जिस तरह पार्टी में बाहरी लोगों को तरजीह मिल रही है. उससे सभी कार्यकर्ता बेहद मायूस हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कांटी विधानसभा सीट पर भी इस बार दमदार मुकाबले की उम्मीद की जा सकती है. कांटी विधानसभा सीट पर 2015 के विधानसभा चुनाव में अशोक कुमार चौधरी ने जीत दर्ज की थी. अशोक कुमार ने निर्दलीय विधायक के तौर पर जीत दर्ज की थी.

देखें रिपोर्ट.

कांटी विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
कांटी विधानसभा सीट पर पिछले कुछ सालों से अजीत कुमार का दबदबा देखने को मिला था. कांग्रेस की टिकट पर 1995 और एलजेपी की टिकट पर साल 2000 में हारने के बाद फरवरी 2005 में एलजेपी की टिकट पर और इसके बाद अक्टूबर 2005 और 2010 के चुनाव में जेडीयू की टिकट पर जीत हासिल की. हालांकि 2015 के चुनाव में अजीत कुमार को अशोक कुमार के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

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