मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर की शाही लीची अपनी मिठास और बेहतरीन खुशबू के लिए पूरी दुनिया में चर्चित है. लेकिन अब मुजफ्फरपुर के किसान दूसरे फलों की खेती में भी हाथ आजमाने की कोशिश कर रहे हैं. किसानों के इसी कोशिश को अमलीजामा पहनाने के लिए मुजफ्फरपुर का निजी टिशू कल्चर काम कर रहा है. जिसकी मदद से थाई चीकू की बागवानी को बढ़ाने की पहल शुरू की गई.
स्वादिष्ट के साथ-साथ सेहत के लिए भी बेहतर है थाई चीकू फल मुजफ्फरपुर की मिट्टी और मौसम चीकू को आ रहा रास
प्रयोग के तौर पर परिसर में करीब 20 से अधिक पौधों पर फिलहाल सफल तरीके से विदेशी चीकू के फल तैयार हो रहे हैं. जिसमें लगे फल और उनके साइज के ग्रोथ को देखते हुए अब इसके पौधे को तैयार करने की पहल भी शुरू कर दी गई है. गौरतलब है थाई चीकू की खेती बागवानी फसल के रूप में की जाती है. सबसे खास बात यह है कि थाई चीकू की इस प्रजाति को मुजफ्फरपुर की मिट्टी और मौसम दोनों रास आ रहा है. जिससे यहां की चीकू फल की गुणवत्ता भी देश के दूसरे जगह की तुलना में बेहतर मानी जा रही है.
ये भी पढ़ें- PM के बयान से सभी असंतुष्ट, किसान खड़ा हो गया तो शासन चलाना मुश्किल हो जाएगा: कांग्रेस
मुजफ्फरपुर में थाई चीकू
- मुजफ्फरपुर की मिट्टी और मौसम थाई चीकू फल को आ रहे रास
- 20 से अधिक पौधों में तैयार किया जा रहा है फल
- टिशू कल्चर के प्रयोग से हो रहा उत्पादन
कई गुणों का मालिक थाई चीकू
- एक बार लग जाने से कई सालों तक पैदावार
- फल में पायी जाती है कार्बोहाइड्रेट और कैल्शियम की मात्रा
- प्रोटीन और फाइबर जैसे और भी कई पोषक तत्व बनाते हैं इसे खास
कई गुणों का मालिक थाई चीकू कई सालों तक अच्छी पैदावार
थाई चीकू के पौधों की बात करें तो एक बार लगाने के बाद यह पेड़ कई सालों तक पैदावार देता है. वही इसके पौधे भी लीची की तरह छोटे होते हैं. खाने में स्वादिष्ट चीकू फल सेहत के लिए भी बेहतर है. इसके फल में कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर जैसे और भी कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो मानव शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते हैं. यही वजह है कि अब मुजफ्फरपुर में भी थाईलैंड के चीकू की खेती को लेकर जमीन तैयार होने लगी है. जल्द ही स्थानीय स्तर पर तैयार इस विदेशी फल के पौधों को किसान अब अपने बागों में व्यवसायिक रूप से लगा पाएंगे.