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Published : Dec 18, 2020, 8:55 PM IST

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नीलगायों के आतंक से किसान परेशान, सरकार और प्रशासन नहीं ले रही सुध

रात का अंधेरा हो या दिन का उजाला, नीलगायों को किसी का डर नहीं है. नीलगाय खेतों में झुंड के झुंड पहुंच कर फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इनके आतंक से किसानों ने कई फसल लगाना छोड़ दिया है. फसल बचाने के लिए किसानों को खेतों में जाल लगाकर रतजगा करना पड़ रहा है.

Nilgai
खेत में घूम रहा नीलगायों का झूंड.

मुजफ्फरपुर: जिले में इन दिनों नीलगायों के आतंक से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. खेतों में लहलहाती फसल को नीलगाय बर्बाद कर रहे हैं. रात का अंधेरा हो या दिन का उजाला, नीलगायों को किसी का डर नहीं है. नीलगाय खेतों में झुंड के झुंड पहुंच कर फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इनके आतंक से किसानों ने कई फसल लगाना छोड़ दिया है.

देखें रिपोर्ट

नीलगायों के आतंक से दिनों दिन जिले में खेती कम होती जा रही है. किसानों का कहना है कि जैसे ही फसलों का फूल तैयार होता है. वह नीलगायों का निवाला बन जाता है. नीलगाय खाने से ज्यादा फसल को रौंदकर नष्ट करते हैं. फसल बचाने के लिए किसानों को खेतों में जाल लगाकर रतजगा करना पड़ रहा है.

वन्य प्राणी होने की वजह से इन नीलगायों को कोई मार भी नहीं सकता. ऐसे में किसान करें तो क्या करें. बताया जाता है कि यह समस्या किसी एक गांव के किसानों की नहीं, बल्कि हर जगह एक समान स्थिति है. नीलगाय इन दिनों सब्जी की खेती को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं.

नीलगाय से फसल बचाने के लिए लगाया गया घेरा.

दिया गया था नीलगायों को मारने का आदेश
गौरतलब है कि नीलगायों के आतंक से निजात पाने के लिए किसानों ने पूर्व मंत्री अजीत कुमार के नेतृत्व में बड़ा आंदोलन कर जिला अधिकारी का घेराव किया था. तब वन विभाग को नीलगायों को मारने का आदेश दिया गया था. नीलगायों को मारने के लिए हैदराबाद से शूटर भी आए थे, लेकिन अन्य वजहों से शूटर लौट गए और यह मामला दब गया.

नीलगाय से फसल बचाने के लिए घेरा लगाते किसान.

"नीलगायों के चलते हमलोगों को बहुत परेशानी है. इस इलाके में एक सौ से अधिक नीलगाय हैं. नीलगाय से सब्जी की फसल बचाने के लिए चारों तरफ से खेत की घेराबंदी की है. इसमें करीब एक लाख रुपए खर्च हो गए. हमलोग रात-दिन इकट्ठा होकर अपनी फसल की रक्षा कर रहे हैं. हमलोगों ने घेराव भी किया था, लेकिन सरकारी अधिकारी इस मामले में कोई सुध नहीं ले रहे हैं."- गंगा भगत, किसान

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