मुजफ्फरपुरः कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देसी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए लोकल फॉर वोकल का नारा दिया था. इसे साकार करने की दिशा में कई संस्थाओं ने पहल की है. इसी कड़ी में अब मुजफ्फरपुर के खादी ग्रामोद्योग संस्थान की तरफ से देश के परंपरागत खाने मक्के की रोटी, सरसों की साग और उपले की लिट्टी की होम डिलीवरी की अनूठी पहल शुरू की गई है.
मिल रहा लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स
मक्के की रोटी, सरसों की साग और उपले की लिट्टी की होम डिलीवरी के लिए संस्थान में भंसाघर की शुरुआत की गई है. गांधी के सपने के भारत को साकार करने की खादी ग्रामोद्योग की इस पहल को काफी अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है.
मिट्टी के चूल्हे पर सरसों का साग "पहले घर में हम इसे बनाते थे. यह लोगों को काफी पसंद आया. इसके बाद खादी ग्रामोद्योग संस्थान से बात करके हमने बैठकर खाने के साथ होम डिलीवरी की शुरुआत कर दी."- अनिल कुमार, संचालक, भंसाघर
स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा भोजन
बर्गर पिज्जा और चाउमीन के जमाने में परंपरागत भोजन के रूप में प्रसिद्ध मक्के की रोटी और सरसों के साग को अब लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर पूरी शुद्धता के साथ उपलब्ध कराया जा रहा है. भंसाघर के संचालक अनिल कुमार ने कहा कि शहर में इसकी काफी डिमांड हो रही है. लोग यहां आकर इसकी रेसिपी भी पूछते हैं.
"इसका काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. आजकल बाहर खाने के लिए फास्टफूड खूब मिलते हैं. इसकी वजह से लोग डायबीटीज, मोटापा आदि बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. ऐसे में लोगों को हम शुद्ध गांव क भोजन उपलब्ध करा रहे हैं."- कुंदन कुमार, सदस्य, खादी ग्रामोद्योग
ऑर्गेनिक तरीके से की जाती है खेती
गौरतलब है कि इस भोजन के निर्माण में किसी भी प्रकार के बाहरी खाद्य पदार्थ की जरूरत नहीं होती है. इस खाने की खासियत यह है कि इसमें इस्तेमाल किया जाने वाले मक्के के उत्पादन से लेकर सरसों के साग की खेती में ऑर्गेनिक तरीके का अनुपालन किया जाता है. इसी वजह से मुजफ्फरपुर खादी संस्थान की अनूठी और बेजोड़ पहल को अब शहर में अच्छा रिस्पॉन्स मिलने लगा है.