मुजफ्फरपुर:लीची किसानों (Litchi Farmers Of Muzaffarpur) की आमदनी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Litchi) द्वारा दो वर्ष पहले ओपन मुर्गा फार्मिंग की योजना शुरू की गई थी. अब किसानों को मुजफ्फरपुर की शाही लीची (Muzaffarpur royal litchi)के साथ ही मुर्गी फार्मिंग से भी मुनाफा हो रहा है, बल्कि लीची के पौधों को भी कीड़ों से बचाया जा सकेगा.
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लीची के बागों में ओपन मुर्गी फार्मिंग कर मुर्गियों की अच्छी प्रजाति जैसे कड़कनाथ, वनराजा, शिप्रा से किसानों को डबल फायदा मिल रहा है. मुजफ्फरपुर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा लीची के किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए लीची के बगीचे में मुर्गी और बकरी पालन पर जोर दे रही है. केंद्र का मानना है कि इससे लीची के बाग में छोटे-छोटे पौधे और कीड़े-मकोड़े से नुकसान को रोकने के लिए कीटनाशक का छिड़काव भी नहीं करना पड़ेगा. लीची के बगीचे में तरह-तरह के छोटे-छोटे पौधे हमेशा निकलते रहते हैं, जो पलने वाले बकरी का चारा बन जाएगा. उसी तरह लीची के बागों में जो कीड़े-मकोड़े उत्पन्न होते हैं वे सभी मुर्गों का भोजन हो जाएगा.
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लीची बागान में मुर्गी फार्मिंग से लीची के पेड़ों को लाभ मिल रहा है. वहीं, मुर्गी पालन में लागत भी कम आती है. ऐसे में किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है. मुजफ्फरपुर के लीची बागानों में ओपन फार्मिंग के तहत देश के सर्वोत्तम देसी नस्लों के मुर्गों को पाला जा रहा है. जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कड़कनाथ, वनराजा और शिप्रा जैसे देसी मुर्गें शामिल हैं.