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मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से तेजी से ग्रसित हो रहे बच्चे, जागरुकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को किया जा रहा जागरूक - जागरूकता कार्यक्रम

मुजफ्फरपुर में एक बार फिर चमकी बुखार का कहर शुरू हो गया है. इस चमकी बुखार से बचाव को लेकर वार्ड स्तर पर सघन जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है.

डोर टू डोर जाकर किया जा रहा जागरूक
डोर टू डोर जाकर किया जा रहा जागरूक

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Published : Apr 8, 2021, 8:39 AM IST

मुजफ्फरपुर: एईएस/चमकी बुखार को लेकर गांव टोला और वार्ड स्तर पर सघन जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. वरीय पदाधिकारियों के निर्देश के आलोक में आंगनवाड़ी सेविका, सहायिका, आशा कार्यकर्ता, आशा फैसिलिटेटर और जीविका दीदियों के माध्यम से दलित-महादलित बस्तियों में डोर-टू-डोर भ्रमण करते हुए लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

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लोगों को दी जा रही विस्तृत जानकारी
बता दें कि इस जागरुकता अभियान के दौरान 'क्या करें क्या नहीं करें' के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है. पंपलेट वितरण करने के साथ उसे पढ़कर सुनाया भी जा रहा है. पंपलेट/पोस्टर को दीवारों पर जगह-जगह चस्पा भी किया जा रहा है.

लोगों को किया जा रहा जागरूक.

बच्चों पर की जा रही सतत निगरानी
आंगनवाड़ी सेविका के माध्यम से कमजोर बच्चों का लगातार लाइन लिस्टिंग और उन पर फोकस करते हुए सतत निगरानी की जा रही है. पंचायत स्तर पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी इस कार्य में सहयोग लिया जा रहा है. पंचायत स्तर पर लगातार बैठक कर आंगनवाड़ी सेविका सहायिकाओं आशा कार्यकर्ता और जीविका दीदियों को निर्देशित करते हुए सघन जागरुकता कार्यक्रम चलाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित भी किया जा रहा है.

लोगों को किया जा रहा जागरूक.

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पीएससी और सीएचसी का औचक निरीक्षण
प्रखंड के वरीय प्रभारी पदाधिकारियों के माध्यम से पीएससी और सीएचसी का औचक निरीक्षण किया. इसके साथ ही उक्त केंद्रों पर आधारभूत संरचना और उपलब्ध सुविधाओं का जायजा भी लिया जा रहा है. जिलाधिकारी के माध्यम से लगातार वरीय अधिकारियों को निर्देशित किया जा रहा है.

पैंपलेट किया जा रहा चस्पा.

डोर-टू-डोर किया जाता है भ्रमण
प्रथम चरण में जिले के 263 पंचायतों को 263 अधिकारियों/कर्मियों के माध्यम से अडॉप्ट किया गया है. उक्त सभी पंचायतों में प्रत्येक शनिवार को जिलाधिकारी के निर्देश के आलोक में सभी पदाधिकारी अपने गोद लिए हुए पंचायतों में पहुंचते हैं. वहां बैठक करने के साथ दलित बस्तियों में डोर-टू-डोर भ्रमण करते हुए आम लोगों को जागरूक किया जाता है.

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