मुंगेर: अंग क्षेत्र की लोकगाथा पर आधारित बिहुला-विषहरी (Bihula-Vishhari ) की तीन दिवसीय पूजा (Three Days Worship) आज पारंपरिक ढंग से श्रद्धा-भक्ति के साथ सम्पन्न हुई. श्रद्धालुओं ने अलग-अलग मोहल्ले में प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की. पुत्र प्राप्ति और पुत्र की रक्षा के लिए बिहुला-विषहरी की पूजा लंबे समय से होती आ रही है. यह महत्व पिछले 10 वर्षों से अधिक बढ़ा है. 8 स्थानों से बढ़कर अब 15 स्थानों पर माता की प्रतिमा स्थपित होने लगी है. आज देर रात से प्रतिमाओं का विसर्जन शुरू होकर शुक्रवार सुबह तक चलेगा.
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अंग प्रदेश भागलपुर के चंपानगर की बिहुला विषहरी की कहानी पौराणिक मान्यताओं से परिपूर्ण है. बड़ी बाजार विषहरी मंदिर के पुजारी मनीष पाठक का कहना है कि चंद्रधर सौदागर चंपानगर के एक बड़े व्यवसायी थे. वे एक शिवभक्त थे. विषहरी जो भगवान शिव की पुत्री मानी जाती हैं, उन्होंने चंद्रधर पर दबाव बनाया कि वे शिव की पूजा न करके किसी और की पूजा करें. लेकिन चंद्रधर राजी नहीं हुए. इसके बाद आक्रोशित विषहरी ने सौदागर के पूरे परिवार को खत्म कर दिया. चंद्रधर सौदागर के छोटे बेटे जिनका नाम बाला लखेंद्र था. उसकी शादी बिहुला से हुई. उसके प्राणों की रक्षा के लिए सौदागर ने लोहे और बांस से एक घर बनाया ताकि उसमें एक भी छिद्र न रहे. विषहरी ने उसमें प्रवेश कर लखेन्द्र को डस लिया.