मुंगेर: वैदिक सभ्यता से सनातन संस्कृति में अपने महत्व बनाए रखने का केंद्र मुंगेर आध्यात्मिक केंद्रों का महत्वपूर्ण स्थल रहा है. मुंगेर की धरती से आध्यात्मिक चिंतन का विकास हुआ है. मुंगेर में शक्तियों का अनंत श्रोत रहा है. इसी कड़ी में शक्ति का एक स्रोत श्मशान काली (Shamshan Kali Temple In Munger) भी है. नवरात्र (Sharad Navaratri 2021)के मौके पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ ही अघोरी तांत्रिक भी पहुंचते हैं.
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18वीं दशक में चंडी स्थान स्थित श्मशान काली भारतवर्ष के तांत्रिकों का महाविद्यालय रहा है. श्मशान काली स्थापित प्रतिमा का पांव नरमुंड पर है. बताया जाता है तांत्रिकों को यहां गहन पूजा के बाद माता रानी से शक्ति स्वरूप सिद्धि की प्राप्ति होती आई है. योग विश्वविद्यालय के संस्थापक स्वामी सत्यानंद सरस्वती, गीतांजलि के लेखक रविंद्र नाथ टैगोर सहित अनेकों विद्वान और तांत्रिकों को मां काली के दरबार से सिद्धि की प्राप्ति हुई है.
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"माता का मंदिर 200 साल पुराना है. माता के बेदी की स्थापना 121 नरमुंड पर विराजमान है. श्मशान पूजा होती है. पहले अघोरी करते थे अब हमलोग करते हैं. शराब, मूर्गा सब चढ़ाते हैं. नवरात्र के मौके पर तांत्रिक भी आते हैं. पूजा करते हैं और चले जाते हैं."- रवीश कुमार स्थानीय