मुंगेर:गंगा प्रदूषित (Ganga polluted in Munger) हो रही है. इसे बचाने की कवायद जारी है. इसी कड़ी में गंगा को स्वच्छ, अविरल और निर्मल बनाने का संकल्प लेकर अंतरराष्ट्रीय धावक अतुल चौकसे ( International sprinter Atul Chokse Reached Munger ) गोमुख गंगोत्री ग्लेशियर से पैदल निकले हैं. अतुल 4000 किलोमीटर की यात्रा तय कर गंगा सागर तक जाएंगे. 6 नवंबर से उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की है.
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उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश होते हुए बिहार के मुंगेर पहुंचे अतुल चौकसे ने 2650 किलोमीटर की यात्रा तय कर ली है. उन्होंने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में बताया कि, आज गंगा मैली हो गई है. गंगा में कारखानों का केमिकल बहाया जाता है. घनी आबादी वाले क्षेत्र में घरों से निकलने वाला गंदा पानी भी गंगा में जा रहा है. इसको स्वच्छ ( Swachh Ganga Abhiyan In Munger) बनाने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा. इसी जागरूकता के लिए मैंने यह पैदल यात्रा 4000 किलोमीटर की शुरू की है.
लगभग एक सौ किलो से अधिक भार लेकर चल रहे अंतरराष्ट्रीय धावक गंगा को स्वच्छ निर्मल बनाने के लिए पैदल गंगोत्री से 6 नवंबर को निकले थे. उन्होंने बताया कि, इस दौरान वे गंगा के किनारे बसे शहरों से होकर पैदल गुजरते हुए उत्तर प्रदेश के बाद बिहार आए हैं. बिहार में वे आरा,पटना,बक्सर लखीसराय के बाद अब मुंगेर पहुंचे हैं.
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"गंगा किनारे घनी आबादी वाले क्षेत्र में गंगा प्रदूषित हो गई है.वहां का पीएच वैल्यू ऑक्सीजन खराब है. गंगा के किनारे रहने वाले लोगों को मैं जागरुक भी करता हूं. गंगा किनारे ही टेंट बना कर रहता हूं और अगले दिन फिर आगे की यात्रा प्रारंभ कर देता हूं. लोगों को इकट्ठा कर गंगा को स्वच्छ निर्मल अविरल कैसे बनाएं इसके बारे में जागरूक करता हूं."-अतुल चौकसे, अंतरराष्ट्रीय धावक
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उन्होंने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा कि, थार मरुस्थल को भी वह नंगे पांव दौड़कर पार कर चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने कई ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए हैं, जिससे यह साबित होता है कि, अतुल चौकसे सामाजिक सरोकार में अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि, लोगों को गंगा को बचाने के लिए जागरूक होना होगा. हमारे पूर्वजों ने जैसी गंगा हमें दी थी हमलोग वैसी भी गंगा को नहीं रख सके. उल्टे गंगा की दशा और दिशा बिगाड़ दिए हैं. कई नदियां विलुप्त हो गई हैं और कई नदियां विलुप्ति के कगार पर हैं. इन नदियों का संरक्षण करना जरूरी है. इन सब उद्देश्यों को लेकर ही मैंने यह यात्रा प्रारंभ की है. जो बंगाल की खाड़ी वे ऑफ बंगाल में जाकर समाप्त होगी.
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