मुंगेर: देश में रेल को गति देने में एशिया का पहला रेल इंजन कारखाना जमालपुर सहित ईस्टर्न रेलवे कोलकाता की तीन वर्कशॉप सबसे आगे है. आज सीमित संसाधनों में भी जमालपुर, लिलुआ और कचरापाड़ा नया कीर्तिमान इतिहास बना रहा है. यह जानकारी ईआर के सीपीआरओ कौशिक मित्रा ने वर्ष 2023 की अप्रैल-जुलाई में किए गए तीनों वर्कशॉपों में उत्कृष्ट प्रदर्शन रिपोर्ट जारी कर दी है.
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जमालपुर में एशिया का पहला वर्कशॉप: गौरतलब है कि ईस्ट इंडियन रेलवे ने लोकोमोटिव मरम्मत और विनिर्माण गतिविधियों के लिए 8 फरवरी 1862 में बिहार के जमालपुर में एशिया का पहला वर्कशॉप की स्थापना की थी. यहां 140 टन ब्रेक-डाउन क्रेन, उच्च क्षमता वाले जमालपुर जैक, ब्रॉड गेज वैगन, डीजल लोकोमोटिव, वैगनों की मरम्मत और ओवरहालिंग, ओवरहेड उपकरण रखरखाव के लिए 4-व्हीलर टॉवर कारों का निर्माण किाया जाता है.
कांचरापाड़ा वर्कशॉप 1863 में हुआ स्थापित: पूर्वी बंगाल रेलवे ने 1863 में कांचरापाड़ा वर्कशॉप स्थपित की. यहां इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव, इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट मोटर कोच, उपनगरीय ट्रेनों, कोचों, मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट ट्रेनों की समय-समय पर ओवरहालिंग और मरम्मत का काम किया जा रहा है. डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट ट्रेनें, गैर-वातानुकूलित कोच, दुर्घटना राहत ट्रेन वैन और 8-पहिया टॉवर कारें भी बनती है.
तीनों कारखाना दे रही रेलवे को गति: लिलुआ वर्कशॉप को वर्ष 1900 में हावड़ा के पास चालू किया गया. यहां एसी, नॉन-एसी, एलएचबी कोच और वैगन स्टॉक की आवधिक ओवरहालिंग और इंटरमीडिएट ओवरहॉलिंग होता है. तीनों कार्यशालाएं अब पूर्वी रेलवे द्वारा संचालित की जाती है. जो ईआर सहित भारतीय रेल को गति देने में आगे है.
अप्रैल-जुलाई वर्ष 2023 में किए गए उत्कृष्ट कार्य:जमालपुर वर्कशॉप ने 2400 वैगनों के अनुमानित लक्ष्य के मुकाबले अप्रैल-जुलाई 2023 के दौरान 2456 वैगनों की आवधिक ओवरहालिंग की है. कांचरापाड़ा कार्यशाला ने 25 इलेक्ट्रिक लोको के अनुमानित लक्ष्य के मुकाबले 32 इलेक्ट्रिक लोको की आवधिक ओवरहालिंग (पीओएच) पहले ही पूरी की, और निरंतर रिकॉर्ड को बनाए रखते हुए निर्धारित समय सीमा के लिए 602 ईएमयू/एमईएमयू कोचों के अनुमानित लक्ष्य के मुकाबले 631 ईएमयू/एमईएमयू कोचों की आवधिक ओवरहालिंग लक्ष्य पूरा किया.
तीनों फैक्ट्री में है रख-रखाव की सुविधा: लिलुआ कार्यशाला ने 504 कोचों और 684 वैगनों के अनुमानित लक्ष्य को पार करते हुए 706 वीयू (वाहन इकाई) कोचों (आईसीएफ और एलएचबी सहित) और 781 वैगनों की आवधिक ओवरहालिंग की. लिलुआ कार्यशाला ने संबंधित अवधि के लिए 8 कोचों के अनुमानित लक्ष्य के मुकाबले 20 कैंपिंग कोचों का रूपांतरण भी पूरा किया. गौरतलब है कि तीनों वर्कशॉप में रेलवे रखरखाव सुविधा है। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान स्थापित,ये कार्यशालाएँ रेलवे कोचों,वैगनों और लोकोमोटिव की मरम्मत और ओवरहालिंग में माहिर हैं।तीनों कार्यशालाएँ थ्रूपुट में स्थिरता बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।