मुंगेर: जिले में एनसीपी श्रमिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष संजय केसरी ने नीतीश सरकार में नवनियुक्त मंत्री मेवालाल चौधरी को मंत्रिपरिषद से हटाने और मेवालाल चौधरी के इस्तीफे की मांग की. अपनी मांग को लेकर मेवालाल चौधरी का पुतला दहन भी किया.
क्या है पूरा मामला ?
- 161 सहायक शिक्षक और जूनियर वैज्ञानिक बहाली में धांधली का मामला है. इन बहालियों में डॉ.मेवालाल चौधरी बतौर कुलपति चयन बोर्ड के अध्यक्ष थे. ये बहाली जुलाई 2011 में प्रकाशित विज्ञापन के माध्यम से इंटरव्यू प्रक्रिया के तहत की गई थी. जिसमें 80 अंक अकादमी योग्यता, 10 अंक इंटरव्यू और 10 अंक पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के मिलकर 100 अंक तय किए थे.
- जिनकी बहाली हुई उनमें से किसी के भी आकदमी अंक 80 नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर के आधे से भी कम अंक है. मगर इन्हें इंटरव्यू और पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन में पूरे 10-10 अंक देकर काबिल बताकर बहाल कर दिया गया.
- जानकार बताते है कि माननीय न्यायमूर्ति महफूज आलम ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि उत्तराखंड के पंतनगर के वाशिंदों का फर्जी आवासीय प्रमाणपत्र बनाया गया. कम योग्यता वालों को साक्षात्कार और पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन में पूरे अंक दिए और उनके बारे में अनुकूल टिप्पणी भी खुद ही लिखी.
- इतना ही नहीं काबिल और योग्य उम्मीदवारों को शून्य या एक दो नम्बर देकर अयोग्य करार दे दिया गया. जिन्हें अकादमी योग्यता के 80 में से 40 अंक आए उन्हें भी बहाल कर लिया गया. 23 ऐसे उम्मीदवारों का रिपोर्ट में जिक्र है जो नेट परीक्षा ही पास नहीं है.
- 16 फरवरी 2017 को कुलाधिपति के प्रधान सचिव ने मेवालाल चौधरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश वर्तमान कुलपति प्रो.अजय कुमार को दिया था. कुलसचिव ने मेवालाल चौधरी के खिलाफ सबौर भागलपुर के सबौर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी.
- अभी भी जेडीयू विधायक मेवालाल चौधरी के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज है. इनके खिलाफ अभी भागलपुर के एडीजे-1 की अदालत में मामला लंबित है.