मधुबनी: कांग्रेस नेता शकील अहमद के निर्दलीय चुनावी मैदान में कूदने के बाद मधुबनी लोकसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन का समीकरण बिगड़ गया है. शकील अहमद के आने से इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
महागठबंध से उनकी सीट कटी
महागठबंधन में हुए सीट शेयरिंग के बाद ये सीट मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी के खाते में आई और पार्टी ने यहां से राजद के पूर्व नेता बद्रीनाथ पूर्वे को टिकट दिया है. एनडीए ने इस सीट से चार बार सांसद रहे हुक्मदेव नारायण यादव के बेटे अशोक कुमार यादव को टिकट दिया है. लेकिन कहा जाता है कि शकील अहमद की मधुबनी में मजबूत पकड़ है. ऐसे में उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने से महागठबंधन को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
मधुबनी में त्रिकोणीय हुआ मुकाबला अब भी राहुल मेरे नेता
शकील अहमद का कहना है कि जैसे चतरा सीट पर फ्रेंडली फाइट हो रही है तो मधुबनी में क्यों नहीं हो सकती. शकील में पार्टी आलाकमान से सिंबल देने या बाहरी समर्थन की गुहार लगाई थी, इस बीच सीपीआई ने उन्हें समर्थन दिया है. शकील अहमद ने दावा किया कि महागठबंधन के कई नेता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार नहीं मानते. जबकि मैं शुरू से ही कह रहा हूँ कि मेरी जीत राहुल गांधी की जीत होगी.
शकील अहमद दो बार सांसद बने
शकील अहमद बिहार से तीन बार विधायक और मधुबनी लोकसभा सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं. वे मधुबनी से 1998 और 2004 में चुने गए। वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं. शकील अहमद केंद्र की मनमोहन सरकार में संचार मंत्री और गृह राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.