बिहार

bihar

ETV Bharat / state

चर्चा में मधुबनी पेंटिंग कलाकार अविनाश का 'नटराज', लगी ढ़ाई लाख की बोली

सैफरन आर्ट की स्टोरी लिमिटेड के नो रिजर्व ऑक्शन में कलाकार अविनाश कर्ण की पेंटिंग नटराज पर 2 लाख 48 हजार 800 रुपए की बोली लगी. इससे पहले दिवंगत कलाकार पद्मश्री सीता देवी की एक पेंटिंग 'कदम का पेड़' की बोली 4 लाख 36 हजार रुपए में लगी थी.

By

Published : Sep 3, 2020, 10:28 PM IST

Madhubani
Madhubani

मधुबनी: विश्व विख्यात मधुबनी पेंटिंग के समकालीन कलाकार अविनाश कर्ण की पेंटिंग 'नटराज' ने कला के क्षेत्र में देश में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. फोक एन्ड ट्राइबल आर्ट अगस्त 2020 के ऑक्शन में उनकी पेंटिंग नटराज की बोली 2 लाख 48 हजार रुपए में लगाई गई. इससे कलाकार अविनाश चर्चा का विषय बने हुए हैं. उन्हें स्विट्जरलैंड की अंतरराष्ट्रीय कला महोत्सव के लिए भी आमंत्रित किया जा चुका है.

बता दें कि विश्व विख्यात मधुबनी पेंटिंग को पहचान दिलाने में पद्मश्री गोदावरी दत्ता, पद्मश्री महासुंदरी देवी, कर्पूरा देवी आदि कई कलाकारों ने अहम योगदान दिया है. कलाकारों का गांव रांटी, मधुबनी पेंटिग के लिए विख्यात है. वहीं फोक एन्ड ट्राइबल आर्ट की नीलामी का परिणाम अगस्त महीने में आया है. इसमें जिले के रांटी गांव के युवा कलाकार अविनाश कर्ण की एक पेंटिंग 'नटराज' की काफी ऊंची बोली लगी है.

पेंटिंग नटराज पर लगी 2.48 लाख की बोली

छह साल के इतिहास में लोक कला में सबसे महंगी बोली
सैफरन आर्ट की स्टोरी लिमिटेड के नो रिजर्व ऑक्शन में कलाकार अविनाश कर्ण की पेंटिंग नटराज पर 2 लाख 48 हजार 800 रुपए की बोली लगी. इससे पहले दिवंगत कलाकार पद्मश्री सीता देवी की एक पेंटिंग 'कदम का पेड़' की बोली 4 लाख 36 हजार रुपए में लगी थी. छह साल के इतिहास में पहली बार मधुबनी पेंटिंग ने सबसे महंगे दामों में बिकने वाली लोक कला में पहला स्थान पाया है.

अविनाश कर्ण की पेंटिंग

मधुबनी पेंटिंग को नहीं मिल रहा उचित मूल्य
मधुबनी पेंटिंग के कलाकार अविनाश कर्ण ने ईटीवी भारत को बताया कि यह उनके लिए बेहद खुशी और गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि जब वो एमएफ हुसैन के चित्रों की नीलामी के बारे में सुनते थे तो सोचते थे कि हमारी मधुबनी पेंटिंग की नीलामी क्यों नहीं होती है. मधुबनी पेंटिंग को 100 से 200 रुपए में क्यों बेच दिया जाता है. अविनाश कर्ण ने कहा कि मधुबनी पेंटिंग को उन्होंने समकालीन कला शैली के रुप में देखना शुरु किया और फिर धीरे धीरे अपनी शैली विकसित की. उन्होंने बताया कि पिछले साल अप्रैल में स्विट्जरलैंड की एक अंतरराष्ट्रीय कला महोत्सव में उन्हें आमंत्रित किया गया था. वहां उन्होंने लोक कलाओं के साथ दुर्व्यवहार पर दुनिया भर के कला प्रेमियों के बीच अपनी बात रखी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार से नहीं मिल रहा सही गाइडलाइन
वहीं मधुबनी पेंटिंग को सरकार द्वारा सही गाइडलाइन और सहयोग नहीं मिलने से अविनाश क्षुब्द है. उन्होंने कहा कि सरकार को ग्रास रूट पर ध्यान देने की आवश्यकता है. जिस तरह कला के पारखी भास्कर कुलकर्णी ने मधुबनी पेंटिंग को एक दिशा दी, उसी प्रकार सरकार में इसे लीड करने वाले किसी व्यक्ति को नियुक्त करना चाहिए. ताकि मधुबनी पेंटिंग को ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके. कलाकार अविनाश कर्ण की प्रारंभिक शिक्षा मधुबनी में ही हुई. फिर उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से फाइन आर्ट में ग्रेजुएशन किया. लेकिन बचपन से ही वो इस कला से जुड़े रहे. बीएचयू में भी पढ़ाई के दौरान उन्होंने मधुबनी पेंटिंग को आधुनिक कला के साथ जोड़ने की भरपूर कोशिश की. पढ़ाई खत्म करने के बाद वो पूरी तरह से इस कला से जुड़ गए. अविनाश की दो बहन भी मधुबनी पेंटिंग कलाकार है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details