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नेपाल में बारिश के बाद बिहार के सीमावर्ती जिलों में अलर्ट, बराज और तटबंधों पर विशेष निगरानी

मौसम विज्ञान केंद्र के प्रतिनिधि ने 5 जुलाई से 18 जुलाई के बीच में सामान्य से ज्यादा वर्षापात की संभावना जताई है. समीक्षात्म बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मौसम विज्ञान के प्रतिनिधि के मुताबिक इस बार भी कम वर्षापात की आशंका है. अतः संभावित सूखे की स्थिति से निपटने के लिए जानकारी दी गयी है.

नेपाल में भारी बारिश के कारण सूबे में अलर्ट जारी

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Published : Jul 7, 2019, 11:03 AM IST

पटना/मधुबनी: नेपाल में भारी बारिश के कारण कोसी नदी का जलस्तर बढ़ गया है. इसके बाद प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया. कोसी बराज और तटबंधो पर विभाग की विशेष नजर रखी जा रही है. वहीं, गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के आसार लग रहे हैं.

कमला बलान नदी का क्षतिग्रस्त पूर्वी तटबंध

प्रदेश में बारिश के बाद बाढ़ की संभावित स्थिति के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ की पूर्व तैयारियों की समीक्षात्मक बैठक हुयी. आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने अपने विभाग द्वारा इस संबंध में की जा रही तैयारियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. प्रधान सचिव ने बताया कि इसरो के साथ जल्द ही बिहार सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर हो जायेगा, जिससे राज्य के बहुआयामी आपदा जोखिम आकलन में सहायता मिलेगी.

सामान्य से ज्यादा वर्षा का अनुमान

मौसम विज्ञान केंद्र के प्रतिनिधि ने 5 जुलाई से 18 जुलाई के बीच में सामान्य से ज्यादा वर्षापात की संभावना जताई है. बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मौसम विज्ञान के प्रतिनिधि के मुताबिक इस बार भी कम वर्षापात की आशंका है. अतः संभावित सूखे की स्थिति से निपटने के लिए जानकारी दी गयी है. साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों ने बाढ़ की स्थिति एवं सुखाड़ की स्थिति में अपने-अपने जिलों में इसके लिये की जा रही तैयारियों के बारे में जानकारी दी है.

बांध में पड़ चुके हैं दरार

वहीं, मधुबनी जिले में मानसून के आते ही लोगों के ऊपर बाढ़ का डर सताने लगा है. क्योंकी कमला बलान नदी का पूर्वी तटबंध काफी क्षतिग्रस्त है. तटबंध में बड़े-बड़े सुरंगे और दरारें दर्जनों जगहों पर हो चुके हैं. इसे मानसून आने से पूर्व ठीक किया जाना था लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण बांध का मरम्मत कार्य नहीं हो पाया है. बांध की सुरंगे काफी गहरी हो चुकी है. नदी में पानी का दबाव बढ़ने से तटबंध कभी भी टूट सकता है और दर्जनों गांव बाढ़ के आगोश में आ सकता है.

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