मधेपुरा(चौसा): जिले के चौसा प्रखंड के फुलौत स्थित सरकारी अस्पताल की लचर व्यवस्था के कारण आम लोग परेशान हैं. यह अस्पताल नर्सों के सहारे चल रहा है. जबकि यहां डॉक्टर से लेकर पारा मेडिकल स्टाफ तक की तैनाती है. लेकिन कोई नजर नहीं आते हैं.
बता दें कि जिले का चौसा प्रखंड ही सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित है. यहां की तरीब 3 लाख की आबादी बाढ़ का दंश झेल रही है. लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सब कुछ सिफर है. पूरे इलाके में बाढ़ का पानी घुस गया है. लोगों के लिए गांव से निकलना काफी कठिन है. एक मात्र नाव का ही सहारा है.
इलाज के अभाव में हो जाती है मौत
लोगों ने बताया कि आलम यह कि यदि कोई अचानक बिमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल पहुंचा कठिन हो जाता है. यातायात के नाम पर नाव का ही सहारा है. समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण कई बार मरीजों की मौत हो जाती है.
सुधी नहीं लेते विधायक
स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब 18 दिनों से इलाका में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है. लेकिन अभी तक कोई देखने नहीं आया हैं. उन्होंने बताया कि स्थानीय विधायक सराकर में विधि एवं लघु सिंचाई मंत्री हैं. फिर भी हर साल आने वाली बाढ़ से निजात नहीं दिला सके हैं और ना ही अस्पताल की ही सुविधा दुरुस्त करवाते हैं. लोगों ने बताया कि विधायक लगातार 25 सालों से इलाके का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.