मधेपुरा:मधेपुरा लोक सभा क्षेत्र का इतिहास बहुत ही दिलचस्प रहा है. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रथम आम चुनाव 1952 से जे0पी0कृपलानी, ललित नारायण मिश्रा (उस समय मधेपुरा लोक सभा का हिस्सा पूर्णियां और भागलपुर भी था), मंडल आयोग के अध्यक्ष स्व0 बीपी मंडल, समाजवादी नेता भूपेंद्र नारायण मंडल समेत कई दिग्गज नेता करते रहे हैं और 90 के दशक के बाद लालू यादव, शरद यादव तथा वर्तमान में राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव कर रहे हैं.
इस क्षेत्र में एक पुरानी कहावत है "रोम पोप का और मधेपुरा गोप का", यह कहानी चरितार्थ भी होता आ रहा है कि गोप ने जिसे चाहा उसे जिताकर भेज दिया. लेकिन इस बार के चुनाव में स्थिति विपरीत नजर आ रही है. मधेपुरा लोकसभा में राजद, जेडीयू और जाप के त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना दिख रही है. सबसे उल्लेखनीय बात तो यह है कि जिस तरह मतदाता का मूड चेंज हो रहा है इससे ये जाहिर हो रहा है कि महागठबंधन के उम्मीदवार शरद यादव कहीं संघर्ष से बाहर होकर तीसरे स्थान पर न आ जायें. यहां सीधी टक्कर जेडीयू के दिनेशचंद्र यादव तथा जाप के उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के बीच सिमट कर रह जाएगा.
सभी प्रत्याशी कर रहे हैं जीत का दावा
वैसे राजद, जेडीयू और जाप के नेता अपनी डफली अपना राग अलापने में लगे हुए हैं. जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल का दावा है कि बिहार के चालीसों सीट एनडीए की झोली में आएंगे, क्योंकि जिस तरह से देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास का कार्य किया, उससे एनडीए को इसका लाभ अवश्य मिलेगा. वहीं राजद के अध्यक्ष तेजनारायण यादव का दावा है कि महागठबंधन के उम्मीदवार शरद यादव भारी मतों से चुनाव जीतेंगे. उधर पप्पू यादव के समर्थक व जाप नेता देवाशीष पासवान ने पप्पू यादव के जीत का दावा करते हुए कहा कि पांच साल हमारे नेता पप्पू यादव दिन-रात जनता के लिए कार्य करते रहे हैं.