मधेपुरा:जिले के विभिन्न प्रखंडों में रेशम की खेती काफी फल-फूल रही है. इसके लिए सरकार किसानों को आर्थिक मदद भी दे रही है. इसी वजह से किसानों का रुझान तेजी से इस ओर बढ़ हो रहा है.
बिहार के किसान पहले परंपरागत खेती पर पूरी तरह से आश्रित रहते थे. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय बनी रहती थी. उनकी माली हालत को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई कृषि योजना की घोषणा की.
रेशम उत्पादन के लिए पत्ते तोड़ती किसान घर में ही रेशम किट पालन की सुविधा
मुख्यमंत्री कोशी मलवरी परियोजना के तहत रेशम किट पालन के लिए सरकार स्वयं सहायता समुहों से जुड़ी जीविका दीदी को प्रशिक्षण देकर उनके घर में ही रेशम किट पालन की सारी सुविधा उपलब्ध कराती है.
मनरेगा के तहत किसानों को दी जाती है दैनिक मजदूरी
इसके साथ ही उन्हें मनरेगा योजना के माध्यम से दैनिक मजदूरी भी दी जाती है. उत्पादित रेशम को सरकार उनके घर से ही खरीदकर ले जाती है. जिससे महिला किसानों को इसे बेचने में कोई परेशानी नहीं होती है.
एक महीने में रेशम उत्पादन
मधेपुरा सदर प्रखंड के वीआरपी कुंदन कुमार ने बताया कि प्रखंड में चालीस किसान रेशम कीट का पालन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके उत्पादन में मात्र एक महीने का समय लगता है. मधेपुरा के डीडीसी विनोद कुमार सिंह ने कहा कि किसानों की हालत सुधारने के लिए कीट पालन करने वालें को मनरेगा सहित अन्य योजनाओं से मदद की जा रही है.