बिहार

bihar

ETV Bharat / state

विधानसभा चुनाव के दौरान 20 करोड़ के घोटाले का खुलासा, सामान की कीमत से ज्यादा दिया गया भाड़ा

बताया जाता है कि नए डीएम के आने के बाद इसकी जांच करवाई गई. तो ये मामला उजागर हुआ. कई लोगों ने टेंडर प्रकिया में ही गड़बड़ी की बात कही है. वहीं इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.

madhepura
madhepura

By

Published : Jul 21, 2021, 4:06 PM IST

Updated : Jul 21, 2021, 5:27 PM IST

मधेपुरा: जिले में 2020 विधानसभा चुनाव (Bihar Election) के दौरान हुए बड़े घोटाले (Scam) का पर्दाफाश हुआ है. यहां चुनाव के नाम पर करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे हुए हैं. जांच के दौरान पाया गया है कि जो बिल चुनाव कराने के नाम पर लगाए गए वो पूरी तरह फर्जी हैं. इसमें 15 से 20 करोड़ के फर्जीवाड़े की बात सामने आयी है.

इसे भी पढ़ें: बिहार के इन गांवों में कोई नहीं करना चाहता शादी, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

बिल की जांच करने पर पाया गया कि 2 रुपये की मोमबत्ती 29 रुपये में खरीदी गई, तो वहीं 50 रुपये की झाड़ू के लिए 98 रुपये का भुगतान किया गया. वहीं भाड़े के नाम पर भी सामान से ज्यादा पैसा खर्च दिखाया गया है. बताया जा रहा है कि इस फर्जीवाडे में कई लोग शामिल हैं, जिसमें कुछ अधिकारी भी हैं.

डीएम ने जब पूरे बिल की जांच करवाई तो 15 से 20 करोड़ का फर्जी बिल बनाकर मोटी रकम के घोटाले की बात सामने आयी. बताया जाता है कि नए डीएम के आने के बाद इसकी जांच करवाई गई. तो ये मामला उजागर हुआ. कई लोगों ने टेंडर प्रकिया में ही गड़बड़ी की बात कही है. वहीं इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की है.

देखें वीडियो

बता दें कि मधेपुरा में विधानसभा चुनाव 2020 में चुनाव संबंधी सामग्री सप्लाय करने वाली एजेंसी ने 15 से 20 करोड़ का फर्जी बिल दिया था. इसके शुरुआती जांच में ही 5 से 10 करोड़ के 9 बिल को फर्जी पाया गया है. शेष 10 करोड़ 32 लाख 34 हजार 100 के बिल की भी जब नए डीएम ने जांच करवाई तो पता चला कि इसमें भी 3 करोड़ 68 लाख 10 हजार 592 रुपये का बिल ही बनता है. जबकि एजेंसी को पूर्व के डीएम ने ही 2 करोड़ 95 लाख एडवांस कर दिया था. ऐसे में जीएसटी आदि कटौती के बाद 15 लाख 37 हजार रुपये एजेंसी को जमा करने का आदेश दिया गया, जो अब तक जमा नहीं हुआ है.

मिली जानकारी के मुताबिक सभी फर्जी बिल की निकासी का रास्ता साफ हो चुका था. लेकिन तब तक पूर्व डीएम नवदीप शुक्ला का ट्रांसफर हो गया. जब नए डीएम श्याम बिहारी मीना आए तो शिकायत मिलने पर बिल की जांच करा दी. इसके बाद ये सारा घोटाला परत दर परत खुलने लगा है. अब 29 करोड़ का बिल 13 करोड़ हो गया है.

बता दें कि सिर्फ एक सहरसा जिले के विजय श्री प्रेस नामक भेंडर का 9 विपत्र पूरी तरीके से फर्जी पाया गया है, जिसकी राशि 5 से 10 करोड़ की बताई जा रही है. शेष विपत्र की भी जब जांच हुई तो उसमें भी सप्लाई किये गए. सामान की मात्रा अथवा संख्या और गुणवत्ता में अंतर पाया गया, जो 7 करोड़ से अधिक का था जिसे काट लिया गया. अब जिले के एडीएम उपेंद्र कुमार कहते हैं कि हर गलत बिल में कटौती कर दी गई है.

इसे भी पढ़ें: मधेपुरा में 'सफेद आफत' से जिंदगी बेहाल, ग्रामीण और पशुओं की फंसी जान

Last Updated : Jul 21, 2021, 5:27 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details