मधेपुरा: मधेपुरा जिले के किसान अब परंपरागत खेती के बजाए केले की खेती पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं. इसकी मुख्य वजह इस खेती में होने वाला लाभ है.
केले की खेती से होती है अच्छी आमदनी
केले की खेती करने के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है. बता दें कि पहले केले की खेती पुरानी विधि से होती थी. इसमें पुराने केले से केले का पौधा निकलता था. लेकिन कृषि मंत्रालय, भारत सरकार ने रिसर्च के बाद केले का बीज तैयार कर किसानों को अनुदानित दर पर उपलब्ध करा रही है.
वैज्ञानिक तरीके से केले की खेती
सरकार के इस पहल से किसान आसानी से केले की खेती कर अच्छी आमदनी कमा कर पा रहे हैं. प्रगतिशील किसान चंद्रकिशोर यादव इस बारे में बताते हैं कि वे पहले परंपरागत खेती धान, मक्का, गेहूँ आदि की करते थे. इन फसलों से कम आमदनी होती थी जिसके कारण परिवार की आर्थिक स्थिति खराब रहती थी.
मधेपुरा में केले की फसल को दिखाता किसान मधेपुरा में कृषि मंत्रालय, भारत सरकार ने किसानों को वैज्ञानिक तरीके से केले और अन्य फसल की खेती करने का मुफ्त में प्रशिक्षण दिया है. अनुदानित दर पर केले का पौधा मिलने के बाद इस विधि से खेती करना शुरू किया है. चंद्रकिशोर के मुताबिक पिछले दो साल से ढाई एकड़ में केले की खेती कर अच्छी आमदनी हो रही है. परिवार की आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है.
सरकारी नौकरी से फायदेमंद
प्रगतिशील किसान चंद्रकिशोर की माने तो केले की खेती सरकारी नौकरी से फायदेमंद है. हर किसान को परंपरागत खेती के बजाए केले की खेती करनी चाहिए. केले की खेती में जुटे किसान ने बताया कि एक केले के घौद 55 से 60 किलोग्राम ग्राम का होता है. इसकी अच्छी उपज हो इसके लिए सरकार हर कदम पर सहयोग कर रही है. केले की खेती से आर्थिक स्थिति में हो रहे सुधार को देख यह कह सकते हैं कि किसान को बढ़-चढ़कर केले की खेती करने की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए.