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चाइनीज झालरों के आगे फीकी पड़ी मिट्टी के दिये की रोशनी, सुनिए कुम्हारों का दर्द

इलेक्ट्रिक लाइट और चाइनीज झालर के आगे  बाजार में मिट्टी के दियों की बिक्री काफी हद तक कम हो गई है. बाजार में चाइनीज झालर जहां 30 से 35 रुपये में मिलती है. वहीं, मिट्टी के दिए 50 से 60 रुपया सैकड़ा में मिल जाते हैं.

सुनिए कुम्हारों का दर्द

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Published : Oct 17, 2019, 12:49 PM IST

Updated : Oct 17, 2019, 3:09 PM IST

खगड़िया:बीते कुछ सालों से चाइनीज लाइट और फैशनेबल लाइटों के आगे कुम्हारों के हाथों बने मिट्टी के दिए की रोशनी फीकी पड़ती नजर आ रही है. लेकिन इस दिवाली और कुम्हारों के आंगन में एक नई मुसीबत आ गई है. ये मुसीबत पिछले दिनों बारिश और बाढ़ के वजह से आई है.

बता दें कि लगातार बारिश के बाद खगड़िया में आई भीषण बाढ़ ने कई दिनों तक तबाही मचाई. उसी बाढ़ और बारिश के पानी की वजह से मिट्टी के दिए बनाने वाले कुम्हारों को मिट्टी के दिए और बर्तन बनाने के लिए साफ मिट्टी भी नही मिल पा रही है.

कुम्हारों के हाथों बनाए गए मिट्टी के दिए और बर्तन

दिन ब दिन धीमी हो रही चाक के पहिये की चक-चक
दशहरा खत्म होते ही कुम्हार दीपावली की तैयारियों में जुट जाते हैं. कुम्हारों के घर में चाक के पहिये की चक-चक की आवाज सुनाई पड़ने लगती है. लेकिन बाजारों में फैशनेबल लाइटों के आने के बाद कुम्हारों के घर से इस पहिए की आवाज दिन ब दिन धीमी होती जा रही है. दूसरे के घर को रोशन करने वाले आज खुद के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे है. शहर के दाननगर मोहल्ले में करीब 40 कुम्हारों के परिवार मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते हैं. कई सालों से यह इस पेशे में है. लेकिन आर्थिक रूप से आज तक खुशहाल नही हो पाए हैं. दिन रात मेहनत के बाद भी कुम्हार आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

रंग-बिरंगी झालरों के आगे फिकी पड़ी दीए की रोशनी
रंग-बिरंगी झालरों के आगे मिट्टी के दियों की रोशनी दिन ब दिन फीकी पड़ती जा रही है.इलेक्ट्रिक लाइट और चाइनीज झालर के आगे बाजार में मिट्टी के दीयों की बिक्री काफी हद तक कम हो गई है. बाजार में चाइनीज झालर जहां 30 से 35 रुपये में मिलती है. वहीं, मिट्टी के दिए 50 से 60 रुपया सैकड़ा में मिल जाते हैं. अब कुम्हारों को दिए और खिलौने बनाने के लिए मिट्टी नही मिल रही है. किसान अपने खेत खोदने नही देते और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर निर्माण कर लिया गया है.

जानकारी देता कुम्हार

खतरे में मिट्टी के दीए की परम्परा
कुम्हारों का कहना है कि 10 साल पहले जो दिवाली होती थी. अब वो दिवाली कहां देखने को मिल रही है. दीपावली आते ही शहर के घरों को चाइनीज झालरों से सजा दिया जाता है. लेकिन पहले ऐसा नही होता था पहले मिट्टी का घरौंदा बनाया जाता था. मिट्टी के बर्तन सैकड़ो के हिसाब से खरीदे जाते थे. बच्चो के लिए खिलौने खरीदे जाते थे. ये सब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. कुम्हारों का कहना है कि सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए और कोई कदम उठना चाहिए ताकि हमारी परंपरा बची रहे.

बाजार में बिकती इलेक्ट्रिक झालर
Last Updated : Oct 17, 2019, 3:09 PM IST

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