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पटना: HC के ओदश पर जिला न्यायाधीश ने की बैठक, दिए कई आवश्यक निर्देश

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Published : Nov 8, 2020, 7:36 PM IST

एडीजे लखीसराय ने न्यायिक अधिकारियों ने कानून को समझाते हुए कहा कि इस अधिनियम के तहत पीड़ित पक्षों की पहचान उजागर नहीं करना है. बालकों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. उसकी उचित देखभाल करना है.

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लखीसराय

लखीसराय: व्यवहार न्यायालय में रविवार को सरगर्मी का माहौल दिखता नजर आया है. व्यवहार न्यायालय में पटना के उच्च न्यायाधीश के आदेश पर जिला जज ने लखीसराय सभी कोर्ट संबधित अधिवक्ताओं से वार्तालाप की. इस दौरान उन्होंने कई निर्देश भी किया जारी. इसके साथ न्यायालय के बारे में कई बातों को लेकर अधिवक्ता को सलाह भी दी.

नैतिक कर्तव्य का करें पालन
एडीजे लखीसराय ने कहा कि जेजे अधिनियम 2015 और चवबेव अधिनियम 2012 मे प्रावधानीत कानून ओर नियमों का पालन सभी संबंधित न्ययायीक अधिकारी और पुलिस अधिकारियों को करना होगा. समाजिक सरोकार से वस्ता रखने वाले लोगों का नैतिक कर्तव्य है कि आपस मे समन्वय स्थापित कर सभी के हित में कार्यो का सम्पादन करें. न्यायिक अधिकारियों ने कानून को साझाते हुए कहा कि इस अधिनियम के तहत पीड़ित पक्षों की पहचान उजागर नहीं करना है. बालकों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. उसकी उचित देखभाल करना है. समय के अंदर उसके वादों का अनुसंधान विचार और निष्पादन करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है.

जागरुकता कार्यक्रम का सफल आयोजन
बता दें कि माननीय उच्च न्यायालय पटना के निर्देश पर जिला न्याय प्रशासन की ओर से रविवार को जिला न्यायालय परिसर में जेजे अधिनियम पर जागरुकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया. जिसका उद्घाटन माननीय जिला सत्र न्यायाधीश सीपी सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया. उक्त कार्यक्रम में अपर जिला जज पीके मिश्रा, अशोक कुमार अधिकारी और सदस्य एजेजे बोर्ड के सदस्य जिला विधिक संघ के अध्यक्ष श्री निवास सिंह सचिव ओमप्रकाश वर्मा जिला लोकभियोजक यदुनंदं प्र महतो एरिमान्ड अधिववक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता रंजन कुमार सहित दर्जनों अधिवक्ता मौजूद रहे. सेमिनार का संचालन न्यायिक अधिकारी तनवीर कौर येबं डालसा सचिव सह अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी आर आर रमन ने किया.

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