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लखीसराय: बिना रजिस्ट्रेशन और सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर चल रहे हैं सैंकड़ों कोचिंग संस्थान - कोचिंग संस्थान

सूरत अग्निकांड के बाद भी शहर में चलाए जा रहे कोचिंग संस्थान सबक नहीं ले रही. इन सभी संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा के लिए किसी तरह के इंतजाम नहीं किए गए हैं. शहर की तंग गलियों में ये कोचिंग संस्थाएं धड़ेले से चलाई जा रही है.

कोचिंग सेंटर से बाहर निकलते छात्र

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Published : May 29, 2019, 6:07 PM IST

लखीसराय: शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण जिले में सैंकड़ों व्यवसायिक कोचिंग संस्थान थोक के भाव में हर गली और चौक चौराहों पर खुल गए हैं. सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर लगभग सभी कोचिंग संस्थान पूरी तरह से कंजेस्टेड गलियों में संचालित किए जा रहे हैं. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टी से एक भी कोचिंग संस्थान सुरक्षित नहीं है.

अप्रिय घटना से निबटने की व्यवस्था नहीं
इन कोचिंग संस्थानों में किसी प्रकार की अप्रिय घटना से निबटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई है. कोचिंग संस्थान के प्रबंधकों को महज पढ़ाने भर से मतलब रहता है. इस दिशा में शिक्षा विभाग पूर्णत लापरवाही बरत रही है.

कोचिंग सेंटर से बाहर निकलते छात्र

अभिभावकों की चिंताएं बढ़ी
बीते शुक्रवार को सुरत में एक कोचिंग संस्थान में हुई आगलगी की घटना के बाद अब हर अभिभावकों की चिंताएं बढ़ गई हैं. सभी अभिभावकों और छात्र-छात्राओं के मन में सवाल उठने लगे हैं कि पढ़ाई के नाम पर कोचिंग संस्थानों में केवल व्यवसायिक नोट्स परोसे जा रहे हैं. यहां बच्चों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है.

बिना रजिस्ट्रेशन कोचिंग संस्थानों का संचालन
शहरी इलाकों में सैंकड़ों कोचिंग संस्थान ऐसे हैं जिनका संचालन शिक्षा विभाग से रजिस्ट्रेशन कराए बिना किए जा रहे हैं. इस संस्थानों में छात्र-छात्राओं को भेड़-बकरियों की तरह बिठाकर पढ़ाया जाता है.

छोटे क्लास रूम सैंकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं

99% संस्थानों में सुरक्षा की व्यवस्था नहीं
शहर में चलाए जा रहे सैंकड़ों कोचिंग संस्थानों का ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने जब जायजा लिया तो पता चला कि यहां 99 फीसदी संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.

क्या हैं कमियां:
⦁ गर्मी के दिनों में कोचिंग संस्थानों में आग से निबटने के लिए फायर सेफ्टी इक्यूपमेंट नहीं .
⦁ अधिकतर कोचिंग संस्थानों में सीसीटीवी कैमरा नहीं है.
⦁ छात्रों के संस्थानो की कमरों तक जाने के सीढियां भी कंजेस्टेड हैं. इस कारण छात्रों के एक साथ उतरने पर अफरातफरी का माहौल बन जाता है.
⦁ थोक के भाव में खोले जाने वाले कोचिंग संस्थानों में छोटे कमरों में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं को बैठाया जाता है.

तंग गलियों में चल रहे कोचिंग सेंटर

कहां-कहां कितने कोचिंग संस्थान
शहर के नया बाजार गौशाला रोड, आदर्श नगर, कबैया रोड, पचना रोड,पंजाबी मुहल्ला में तकरीबन 60 से अधिक कोचिंग संस्थानों का संचालन हो रहा है. वहीं, पुरानी बाजार के विधापीठ चौक पर दो, इंग्लिश मुहल्ला में चार, थाना चौक से चितरंजन रोड इलाके में 30, संतर मुहल्ला में दो कोचिंग संस्थानों को संचालित किया जा रहा है.

शिक्षा विभाग बेपरवाह
इन कोचिंग संस्थानों पर जिला प्रशासन की अभी तक नहीं पड़ी है. सूरत में घटी घटना से कोई भी अधिकारी संज्ञान नहीं लेना चाहते हैं. ईटीवी के रिपोर्टर ने जब शिक्षा विभाग के डीपीओ उपेन्द्र कुमार सिंह से कोचिंग संस्थानों के बारे जानने की कोशिश कि तो उन्होंने कुछ भी बताने से साफ-साफ इनकार कर दिया.

क्या कहते हैं DEO
जिला शिक्षा पदाधिकारी सुनयना कुमारी ने इस संदर्भ में कुछ भी बताने से इंकार करते हुए कार्यालय से बाहर निकल गई. रिपोर्टर ने जब इस बारे में उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी डीडीसी के साथ उनकी मिटिंग है उन्हें जाने दें.

कोटिंग सेंटर में बनाई गई संकुचित सीढ़ियां

संस्थानों को दिए गए थे सुरक्षा के निर्देश
शिक्षा विभाग के स्थापना शाखा के डीपीओ रमेश पासवान ने बताया कि लखीसराय में निजी शिक्षण संस्थान और कोचिंग संस्थानों के रजिस्ट्रेशन के लिए डीईओ अधिकृत है. सरकार के निर्देशों के अनुसार सभी निजी स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आदेश दिए गए थे. सभी संस्थानों को सुरक्षा की मानकों के आधार पर रजिस्ट्रेशन कराना था, मगर किसी भी संस्थान ने ऐसा नहीं किया है.

सूरत की घटना से लेना चाहिए सबक
लखीसराय कबैया रोड के कोचिंग संस्थान के प्रबंधक मोहित सर ने बताया कि सूरत की घटना से सभी को सबक लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वो अपने संस्थान में अग्निशामक यंत्र, सीसीटीवी कैमरा सहित अन्य व्यवस्थाओं को ठीक करने जा रहे हैं, जिससे छात्रों को कोई परेशानी नहीं होगी.

कोचिंग संस्थानों में क्या है कमियां:
कोचिंग सेंटर में सीटों से ज्यादा छात्रों की संख्या है.
क्लास रूम में लाईट, पंखे की व्यवस्था नहीं है.
क्लास रूम छोटी होने की वजह से वहां खिड़कियां भी नहीं है.
आग से बचाव के लिए अग्निशामक यंत्र की भी कोई व्यवस्था नहीं है.

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