किशनगंजः जिले में एक व्यक्ति 18 सालों से नंगे पैर रहकर जीवन गुजार रहे हैं. उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण होने तक चप्पल नहीं पहने का संकल्प लिया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता तो साफ हो गया है. लेकिन मंदिर निर्माण में अभी भी कुछ साल लगेगा, तब तक किशनगंज के ये 38 वर्षीय देवदास उर्फ देबुदा नंगै पैर ही जीवन व्यतीत करेंगे.
ब्रह्मचारी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं देवदास
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला तो अयोध्या मामले में दिया है लेकिन इसका असर बिहार की सीमांचल के किशनगंज के एक व्यक्ति के जीवन पर पड़ेगा. अब 18 साल बाद जल्द ही वह चप्पल-जूता पहन सकेंगे. सालों से नंगे पैर घूम रहे देबुदा का कहना है कि जिस दिन भव्य मंदिर का निर्माण पूरा हो जायेगा और उद्घाटन होकर मंदिर का दरवाजा सबके लिए खुल जायेगा, उस दिन से हम जुता चप्पल पहना शूरू करेंगे. समाज सेवा को अपना जीवन का मूल मंत्र बनाने वाले देवदास उर्फ देबुदा ब्रह्मचारी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
राम मंदिर निर्माण के लिए ली थी शपथ
2001 में इंटर की परीक्षा पास करने के बाद देबुदा ने शपथ ली थी कि जब तक राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त नहीं हो जाता है, वे चप्पल नहीं पहनेंगे. देबुदा को समाज सेवा का जुनून ऐसा है कि वे रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ स्वयं भी रक्तदान करते हैं. समाज में जिस परिवार से उन्हें शादी विवाह और जन्मदिन के अवसर पर आमंत्रण मिलता है, उस परिवार के सदस्यों से कम से कम पांच पौधारोपण आवश्य करवाते हैं.