किशनगंज: 'इरादे पक्के हों तो कोई भी काम कठिन नहीं रह जाता' ऐसा ही कुछ कारनामा कर दिखाया है जिले के कुचियाबाड़ी की रहने वाली महिला सावित्री देवी ने. जीविका के माध्यम से सावित्री ने सपनों काे चार चांद लगा दिया. गांव की अन्य महिलाओं को भी समूह से जोड़कर उन्हें मसाला क्वीन बना दिया.
सावित्री देवी ने अपने घर पर ही मसाला तैयार करने की शुरुआत की थी और वो इसमें सफल भी हुई. सबसे पहले उन्होंने अकेले इस काम को शुरू किया. इसके बाद धीरे-धीरे और महिलाओं को मसाला बनाने के काम में शामिल करती गई और देखते ही देखते हल्दी के अलावा और अन्य मसाले भी तैयार करने लगी.
पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाता है मसाला
सावित्री देवी के साथ लगभग 40 महिलाएं काम करती हैं. मसालों को किसी मशीन के द्वारा तैयार नहीं किया जाता है. सावित्री देवी अन्य महिलाओं के साथ मिलकर पारंपरिक तरीके से ओखल में कूटकर मसाला तैयार करती है. मसाला तैयार करने के बाद वो खुद पैक भी करती हैं और उसे जीविका के माध्यम से बेचती हैं. हल्दी का 100 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम तक का पैकेट तैयार करती हैं. हल्दी पाउडर के साथ-साथ जीरा पाउडर, धनिया पाउडर, मिर्च पाउडर का भी पैकेट तैयार करती हैं.
पारंपरिक तरीके से मसाला तैयार करती महिला 'औने-पौने दामों में बेचना पड़ता था कच्चा हल्दी'
सावित्री देवी ने बताया कि पहले उनके गांव परिवार में हल्दी की खेती होती थी, जिसे बेचकर ज्यादा मुनाफा नहीं होता था. कच्चा हल्दी बिचौलियों के हाथों बेचना पड़ता था. उन्होंने कहा कि एक दिन जिला परियोजना अधिकारी इस इलाके में आए थे. उन्होंने मुझसे कहा कि ये कच्चा हल्दी औने-पौने दामों में क्यों बेचती हो, घर में ही ओखल की मदद से हल्दी पाउडर तैयार कर जीविका के माध्यम से बेचिए, जिससे आपको अच्छी कीमत मिल जायेगी. इसके बाद सावित्री देवी ने अकेले ही इस काम को शुरू किया और उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ.
सावित्री देवी की ओर से शुरू किए गए मसाले के कार्य को बिहार के अलावा बंगाल में भी बहुत सराहा जाता है. पिछले साल पटना में बंगाल के सिलिगुड़ी में उनके हौसले और आत्मनिर्भरता को सराहते हुए उनको सम्मानित किया गया था.
'जीविका की होती है मसाला बेचने की जिम्मेदारी'
किशनगंज जीविका के जिला परियोजना अधिकारी अवधेश कुमार ने बताया कि सावित्री देवी के द्वारा तैयार हल्दी पाउडर को बेचने की जिम्मेदारी जीविका की है. उन्हें हर तरह की सुविधा जीविका द्वारा दी जाती है और आगे भी दी जाएगी. ताकि उनके साथ और ज्यादा महिलाएं जुड़ कर आत्मनिर्भर बने सकें.