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किशनगंज में दिखी शब-ए-बारात की रौनक, पूर्वजों को याद करने कब्रिस्तान पहुंचे लोग - decoration

इस्लामी मान्यता के अनुसार शब-ए-बारात की रात इबादत का दौर सारी रात चलता है. इस रात को मुस्लिम समुदाय के लोग अपने उन परिजनों जो दुनिया में नहीं हैं, उनकी मोक्ष की दुआएं करने कब्रिस्तान जाते हैं.

क्रब में आगे मोमबत्ती जलाते परिजन

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Published : Apr 21, 2019, 9:07 AM IST

किशनगंज:मुस्लिम बहुल जिला किशनगंज मे शब-ए-बारात त्योहार को लेकर मुस्लिम समुदाय के बीच काफी उत्साह और चहल-पहल देखने को मिला. सारी रात इबादत का दौर चलता रहा. इबादत के इस त्योहार के लिए किशनगंज के कब्रिस्तान और मस्जिदों में खास तरह की सजावट दिखी.
दरअसल, मुस्लिम हिजरी कैलेंडर के मुताबिक शाबान माह की 15वीं तारीख (20 अप्रैल, रविवार) को शब-ए-बारात का त्योहार मनाया गया. देर शाम से ही जिले के कब्रिस्तानों में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी. साथ ही रात भर लोगों का आना-जाना लगा रहा.

शब-ए-बारात की मान्यता
मुस्लिम जानकर बताते हैं कि पिछले साल किए गये कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करना और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाले रात को शब-ए-बारात कहा जाता है. इस रात को पूरी तरह इबादत करते हुए गुजारने की परंपरा है. नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात के अहम हिस्सा है. इस्लामी मान्यता के अनुसार शब-ए-बारात की रात इबादत का दौर सारी रात चलता है. इस रात को मुस्लिम समुदाय के लोग अपने उन परिजनों जो दुनिया से रूखसत(मर) हो चुके हैं, उनकी मोक्ष की दुआएं करने कब्रिस्तान जाते हैं.

इबाबत करते मुसलमान

किशनगंज में ऐसे मना त्योहार
शब-ए-बरात के मौके पर मुस्लिम बहुल इलाके किशनगंज के मुस्लिम आवासीय मोहल्लों मे शानदार सजावट व झिलमिलाती एलइडी लाइटों से पूरे शहर जगमगाता नजर आया. साथ ही मुस्लिम बच्चे फटाखे बजाते दिखे. कहीं-कहीं मोमबत्ती से भी घर जगमगाते दिखे.

15 दिनों बाद रमजान
बता दें कि मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फजीलत(श्रेष्ठ) मानी जाती है. लोग इस रात दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों को तौबा करते हैं. ज्ञात हो कि शब-ए-बारात के 15 दिन बाद से ही रमजान माह शुरू हो जायेगा.

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