खगड़िया: जिले का महेशखुंट स्टेशन खंडहर में बदलता जा रहा है. हालांकि इस स्टेशन से सरकार को हर साल 25 से 30 लाख राजस्व मिलता है. लेकिन इसका कोई भी फायदा स्टेशन को नहीं मिलता. स्टेशन पर न तो पीने का पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय की. वहीं, इस स्टेशन पर बैठने के लिए एक कुर्सी तक नहीं है.
खगड़िया: सरकार को सलाना 30 लाख रुपये राजस्व देने वाले इस स्टेशन की हालत जर्जर - खगड़िया की खबर
जीआरपी अधिकारी का कहना है कि हमारे बैठने के लिए छत भी नहीं है. जिस छत के नीचे हम बैठते हैं वो कब ढह जाए पता नहीं. बताया गया कि इस कमरे में 4 सुरक्षाकर्मी बैठते हैं. रेलवे स्टाफ ने बताया कि यहां केवल 2 ही स्टाफ ड्यूटी पर हैं.
सुविधाओं से वंचित है महेशखुंट स्टेशन
जिले के महेशखुंट स्टेशन पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. यह स्टेशन धीरे-धीरे खंडहर में बदलता जा रहा है. हालांकि सरकार को इस स्टेशन से हर साल 25 से 30 लाख राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन फिर भी स्टेशन पर न तो पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय की. शौचालय नहीं होने से पुरुष तो कहीं भी चले जाते हैं. लेकिन महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. स्टेशन पर प्रतिदिन 15 सौ से 2 हजार तक यात्री आते हैं, लेकिन ट्रेन का इंतजार करने के लिए बैठने लायक कुर्सियां भी नहीं है. यात्रियों का कहना है कि यहां रात में चोर-लुटेरों का डर रहता है. इस स्टेशन पर एक लाइट तक नहीं है. वहीं, स्टेशन की शेड की हालत भी जर्जर है.
यात्रियों से लेकर स्टाफ तक है परेशान
जीआरपी अधिकारी का कहना है कि हमारे बैठने के लिए छत भी नहीं है. जिस छत के नीचे हम बैठते हैं वो कब ढह जाए पता नहीं. बताया गया कि इस कमरे में 4 सुरक्षाकर्मी बैठते हैं. रेलवे स्टाफ ने बताया कि यहां केवल 2 ही स्टाफ ड्यूटी पर हैं. इससे हमें बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है. एक समय पर एक ही स्टाफ रहता है. वहीं, एक दिन में 15 सौ से 2 हजार यात्री आते हैं. इतना ही नहीं इस स्टेशन का मास्टर भी मेडिकल छुट्टी पर गया है. ऐसी व्यवस्था से यहां के लोग सरकार से बहुत ही नाराज हैं.