खगड़िया: प्रदेश में महिला और बाल विकास विभाग ने नौनिहालों के पोषण और शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों की तर्ज पर आंगनबाड़ी केन्द्रों की शुरूआत तो कर दी, लेकिन स्कूलों के नियम लागू नहीं होने से इन बच्चों को सर्दी का सितम झेलना पड़ रहा है.
सर्दी को देखते हुए बच्चों के अभिभाव केन्द्र पर अपने बच्चों को भेजने में कतराने लगे हैं. इस संबंध में आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका और सहायिका का कहना है कि केंद्र पर कोई व्यवस्था नहीं है. खुले टिन शेड में बच्चों को ठंड लगने का खतरा रहता है, जिस वजह से लोग अपने बच्चें को केंद्र पर नहीं भेजना चाहते हैं. वहीं, हमलोगों पर हर दिन बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने की जवाबदेही रहती है.
सरकार पर लगाया उपेक्षा का आरोप
आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सुनीता कुमारी बताती हैं कि केंद्र पर 3 से 6 साल के बच्चें आते हैं. कड़ाके की ठंड शुरू हो चुकी है. केंद्र में कोई सुविधा नहीं है. सुनीता का कहना है कि जब वो बच्चों को बुलाने उनके घर जाती हैं, तो उनके अभिभावक उनसे सवाल पूछते हैं कि ' ठंड लगने पर कौन इलाज करायेगा'?
जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे 'हमारे पास नहीं है कोई उपाय'
आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 283 की सेविका प्रेम लता सिंह बताती हैं उन्हें छोटे बच्चों से काफी स्नेह है. बच्चों को सरकार की ओर से दिये जाने वाले पोषाहार बच्चों को दिये जाते हैं. यह केंद्र कोशी कॉलेज के छात्रवास प्रांगण में चलता है. केंद्र के पास अपना भवन भी नहीं है. बच्चों को खुले में बिठाना पड़ता है. सरकार की दोहरी नीति के कारण हम मजबूर हैं.
'उपस्थिती नहीं होने पर देना पड़ता है जबाब'
केंद्र संख्या 292 की साहायिका मीना देवी बताती हैं कि बच्चों के अनुपस्थित रहने पर ऊपर के अधिकारियों को उन्हें जवाब देना पड़ता है. हर दिन बच्चों के साथ फोटो लेकर एप पर अपलोड करना होता है. बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने की जवाबदेही रहती है.
खुले में बैठकर पढ़ते आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे अभी वैसी ठंड नही पड़ रही- डीएम
इस मामले पर जिले के डीएम अनिरुद्ध कुमार से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि 'अभी वैसी ठंड नही हो रही है. ज्यादा ठंड होने पर आंगनबाड़ी केंद्र के समय में बदलाव किया जाएगा.