खगड़िया: प्रदेश की सरकार भले ही विकास का ढिंढोरा पीटती आ रही है, लेकिन जनता इन तरह-तरह के दावों को सुन कर थक चुकी है. ऐसे में यदि कुछ गांव अपनी दुर्दशा की तस्वीर बयां करें तो नेताओं के विकास के सारे पोल खुल जाते हैं. वहीं, जिले के मानसी प्रखंड स्थित बूढ़ी गंडक नदी के ऊपर बना लकड़ी का पुल भी कुछ ऐसा ही बयां कर रहा है. यहां हर साल लोग खुद से चंदा लगाकर लकड़ी का अस्थाई पुल बनाते हैं. इसी पुल के सहारे आवागमन करते हैं. आज तक गांव वालों के इस समस्या का हल नहीं निकल सका है. ग्रामीण आज भी अपनी जान दांव पर लगाकर इस पुल पर चलने को मजबूर है.
पुल पर चढ़ चुका है पानी
मानसी प्रखंड के मटिहानी गांव के उस पार में मुंगेर जिला है. यह लकड़ी का पुल मुंगेर जिला को खगड़िया से जोड़ता है. खगड़िया जिला मुख्यालय के करीब मुंगेर जिला का रामपुर पंचायत. जहां 6 से 7 हजार की आबादी रहती है. जिनका शिक्षा, चिकित्सा और बाजार खगड़िया जिले में ही होता है. इस समय बूढ़ी गंडक नदी अपने उफान पर है. पुल लगभग डूबने के कगार पर है. कई जगहों पर नदी का पानी पुल पर चढ़ चुका है. लेकिन लोगों की मजबूरी ऐसी है, जो अपने जान को जोखिम में डाल कर लोग पुल पार कर रहे है.
बूढ़ी गंडक नदी पर बना चचरी का पूल 'आधुनिक दुनिया से कोसों दूर हमारी पंचायत'
बूढ़ी गंडक नदी के पास मौजूद राहगीरों ने ईटीवी भारत को अपनी समस्या बताते हुए कहा कि सरकार किसी की आए या जाए, लेकिन हमलोग आज तक विकास को नहीं देख पाए है. आज इस आधुनिक समय में भी हमलोग कई साल पीछे है. पुल नहीं होने की वजह से हमारे पंचायत में बच्चो को शिक्षा नहीं मिल पाती है. रोगियों को इलाज नहीं मिल पाती है. हमारा पंचायत आधुनिक दुनिया से कोसो दूर खड़ा है. वहीं, राहगीरों ने बताया कि हर बार चुनाव में इस पुल को लेकर जनप्रतिनिधि वादा करने आते है. लेकिन जैसे ही चुनाव का परिणाम आता है. ये पुल और हमारी पंचायत सब कुछ वहीं रह जाते हैं.
पुल का सिर्फ 10% हुआ है काम
ग्रामीण कार्य विभाग की तरफ से लकड़ी के पूल के पश्चिम में 12 करोड़ 13 लाख की लागत से पूल का कार्य पास हुआ है और वहां काम भी चल रहा है. 31 जनवरी 2017 से शुरू हुए पुल के काम को 2019 के जनवरी महीने में पूरा कर जिला प्रसाशन को सौपना था, लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी अमित कुमार कंस्ट्रक्शन कम्पनी की ओर से काम सिर्फ 10 प्रतिशत के आस-पास ही हो पाया है.
बाढ़ का पानी आ जाने से रुका हुआ है काम
ग्रामीण कार्य विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर ज्ञान विभाकर ने बताया कि पूल के काम को लेकर विभाग की ओर से कई बार कंस्ट्रक्शन कम्पनी को चिट्ठी लिखी गई. जिसके बाद कंस्ट्रक्शन कम्पनी की ओर से जवाब आया कि काम बहुत जल्द फिर से शुरू किया जायगा. उसके बाद देश में लॉकडाउन हो गया, तो काम शुरू नहीं हो पाया. लॉकडाउन के बाद फिर से काम शुरू हुआ, लेकिन नदी में बाढ़ का पानी आ जाने से काम फिर से रुका हुआ है.