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कटिहार के किंकर दास ने खुद बनाई स्वाबलंबन की राह, अब दूसरों की बना रहे हैं राह आसान - Mushroom

कोरोना कारण लगे लॉकडाउन में किंकर दास का सारा काम-काज ठप हो गया था. लेकिन अब कोरोना टिकाकरण अभियान शुरू होते ही किंकर दास ने अपने काम-काज को आयाम देना शुरू कर दिया है. किंकर मशरूम की खेती कर खुद के साथ गांव के कई लोगों को भी आत्मनिर्भर बना रहे हैं.

कटिहार के किंकर दास ने खुद बनाई स्वाबलंबन की राह
कटिहार के किंकर दास ने खुद बनाई स्वाबलंबन की राह

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Published : Feb 16, 2021, 7:08 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 10:20 PM IST

कटिहार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर अभियान में बिहार के लोग काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे है. इसमें कटिहार जिले के सौरिया बेलवा गांव निवासी किंकर दास भी शामिल हैं. किंकर दास मशरूम की खेती कर खुद के साथ दर्जनों ग्रामीणों को भी आत्मनिर्भर बना रहे है. उनकी इस मुहिम में 50 से अधिक महिलाएं और पुरुष जुड़े हैं.

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कठिन परिस्थितियों में खुद को संभाला
किंकर दास बताते हैं कि जब देशभर में कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगा था. तब उनका सारा काम-काज ठप्प हो गया था. लेकिन अब देश में कोरोना टीकाकरण का अभियान शुरू हुआ और धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौटने लगी, तो उन्होंने फिर दोबारा अपने काम-काज को आयाम देना शुरू कर दिया. किंकर दास ने गांव की महिलाओं की मदद से मशरूम की खेती कर रहे हैं.

किंकर दास मशरूम उत्पादक

'फिलहाल मध्यम पैमाने पर मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया गया है आगे बाहर के प्रदेशों से मांग के अनुसार माल को भेजने की योजना हैं'- किंकर दास, मशरूम उत्पादक

स्थानीय महिला

गांव में रहकर मिल रहा महिलाओं को काम
वहीं, स्थानीय महिला बताती हैं कि वह बेहद खुश हैं कि गांव में ही काम-काज मिल गया है. उन्होंने बताया कि घर का काम कर वह यहां मशरूम की खेती से जुड़े कामों को करने पहुंच जाती हैं. स्थानीय महिला बताती हैं कि दिनभर कब गुजर जाता है, कुछ पता ही नहीं चलता. उन्होंने बताया कि वह इससे कई गुण भी सीख रहीं हैं, ताकि आगे अपने पैरों पर खड़े होकर गुजारा कर सकें.

मशरूम उत्पादन से जुड़ी हैं कई महिलाएं

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मशरूम की खेती से रुक रहा पलायन
बता दें कि बगैर किसी सरकारी मदद के अपनी मेहनत और लगन से गांव में रोजगार और आत्मनिर्भरता के महिलाओं में गुण भरना एक बड़ी बात मानी जा सकती हैं, क्योंकि किंकर दास की इस कोशिश से गांव के लोगों ने पलायन को बाय-बाय कह दिया हैं.

Last Updated : Feb 16, 2021, 10:20 PM IST

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