कटिहार: बिहार में लगभग 12 जिले बाढ़ के प्रकोप से प्रभावित है. वहीं, कटिहार में महानंदा का जलस्तर इस कदर बढ़ा हुआ है कि जिले के लगभग 42 पंचायत बाढ़ की चपेट में है. जिससे यहां के 3 लाख लोग बुरी तरह से प्रभावित हैं. निचले इलाके में बाढ़ का पानी भर जाने के कारण बाढ़ पीड़ित घरों को छोड़कर ऊंचे स्थानों पर रहने को मजबूर हैं.
पीड़ितों को नहीं मिल रही सरकारी सुविधा
कटिहार के कदवा, आजमनगर, बलरामपुर, बारसोई, प्राणपुर और अमदाबाद का इलाका बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित है. लोगों का घर पानी में डूब चुका है. ऐसे में लोग अपना जीवन यापन करने के लिए बांध के किनारे या तो फिर ऊंचे स्थानों पर रहने को मजबूर हैं. ऊंचे स्थानों पर रह रहे बाढ़ पीड़ितों को सरकारी सुविधा भी मुहैया नहीं कराई गयी है. लिहाजा लोग जैसे तैसे रात के अंधेरों में अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
कटिहार में बाढ़ के साथ सर्पदंश का कहर सर्पदंश के मरीजों में हुई वृद्धि
बाढ़ पीड़ित अब जंगली जीव जैसे सांप और बिच्छू का शिकार होने लगे हैं. रोजाना सर्पदंश के मरीजों में इजाफा हो रहा है. कटिहार सदर अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 10 मरीज सर्पदंश के पहुंच रहें हैं. कटिहार सदर अस्पताल के चिकित्सक आर सुमन बताते हैं पिछले 10 दिनों से बाढ़ के चलते सर्पदंश के मरीजों में वृद्धि हुई है. औसतन प्रतिदिन सदर अस्पताल में 10 मरीज पहुंच रहे हैं जिन्हें खतरनाक एवं जहरीले सांपों ने काटा है. सदर अस्पताल में इलाज करवाने पहुंचे सभी सर्पदंश के मरीजों को बेहतर चिकित्सा देकर ठीक कर दिया गया है.
ऊंचे स्थानों पर रहने को मजबूर ग्रामीण
एक तो बाढ़ पीड़ितों का घर बाढ़ के पानी से डूब चुका है. वहीं, दूसरी ओर लोग जीवन यापन करने के लिए तटबंधो या ऊंचे स्थानों पर रह रहे हैं. लेकिन वहां भी बाढ़ पीड़ित पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है. तटबंध पर जंगली जंतुओं का शिकार हो जा रहे हैं. सांप बिच्छू एवं छोटे-छोटे अन्य कीड़े मकोड़े इनके जीवन यापन पर विध्न डाल रहे हैं. ऐसे में बाढ़ पीड़ित अपनी जान जोखिम में डालकर तटबंधओ पर अपना गुजारा कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर बाढ़ पीड़ित जाएं तो जाएं कहां. जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ पीड़ितों के लिए 17 मेडिकल टीम कार्यरत हैं जिसमें 7 मोबाइल मेडिकल टीम है. वहीं 10 स्टैटिक मेडिकल टीम जिले में कार्यरत हैं. जरूरत पड़ने पर यह सभी मेडिकल टीम बाढ़ पीड़ितों के लिए हमेशा तत्पर हैं. बाढ़ पीड़ितों को बेहतर स्वास्थ्य और ईलाज के लिए यह सभी टीम अलग-अलग जगहों पर कार्य कर रही है.