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'आंखों में रौशनी नहीं, पर गले में ऐसी मिठास कि बन गयी जिले की आइकॉन' - जागरूकता

मानसी दोनों आंखों से जन्मजात नेत्रहीन हैं. बाबजूद इसके मानसी ने जिन्दगी की जंग नहीं हारी है. अपने हिम्मत और जज्बे के बल पर आज वो लोकतंत्र के पर्व में जनभागीदारी बढ़ाने का काम कर रही है.

मीडिया से बात करती मानसी

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Published : Apr 16, 2019, 12:22 PM IST

कटिहार: 'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों'. जिले की 9 वर्षीया मानसी के लिए यह लोकोक्ति एकदम सटीक साबित होती है. कटिहार जिला प्रशासन ने मानसी को 2019 के लोकसभा चुनाव में कटिहार संसदीय सीट का डिस्ट्रिक्ट आइकॉन चुना है.
मानसी दोनों आंखों से महरूम है. पर वह अपनी सुरीली आवाज में खूबसूरत चुनावी गीत गाती हैं और मतदाताओं को जागरूक करने की कोशिश में जुटी हैं.

मां के साथ मानसी

मानसी का व्यक्तित्व
मानसी दोनों आंखों से जन्मजात नेत्रहीन हैं. बाबजूद इसके मानसी ने जिन्दगी की जंग नहीं हारी है. अपने हिम्मत और जज्बे के बल पर आज वो लोकतंत्र के पर्व में जनभागीदारी बढ़ाने का काम कर रही है. मानसी ने ब्रेल लिपि के आधार पर तालीम का ककहरा सीखा. आज अपने खूबसूरत गले से गीतों को एक नया रंग दे रही है.

आइकॉन बन खुद पर पर्व है
डिस्ट्रिक्ट आइकॉन बनाये जाने के बाद मानसी काफी खुश है. वह इसके लिये भगवान को शुक्रिया कहती है. मानसी की हौसला अफजाई के लिए राज्य निःशक्तता आयुक्त डॉ शिवाजी कुमार ने मानसी की अच्छी सेहत की कामना की है. मानसी को डिस्ट्रिक्ट आइकॉन बनाये जाने से उसकी माँ भी काफी खुश हैं क्योंकि नेत्रहीन मानसी ने उसे वह सम्मान दिलाया जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी.
बता दें कि कटिहार संसदीय सीट पर करीब साढ़े सोलह लाख मतदाता हैं. जिसमें कुल 11072 दिव्यांग मतदाता हैं. सभी के बीच मानसी का आइकॉन बनाया जाना, सचमुच अपने में गर्व की बात है.

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